नई दिल्ली। संसद में भ्रष्टाचार निरोधक (संशोधन) विधेयक 2018 को ध्वनिमत से पारित कर दिया गया। इस पर कोई चर्चा नहीं हुई। इसके प्रभावों पर भी विचार नहीं किया गया। भ्रष्टाचार निरोधक विधेयक 2018 के तहत रिश्वत वसूली करने वाले अधिकारी को 3 साल की जेल का प्रवाधान है परंतु अब संशोधन के बाद रिश्वत देने वाले व्यक्ति के खिलाफ भी एफआईआर दर्ज की जाएगी और उसे 7 साल जेल का प्रावधान कर दिया गया है।
भ्रष्टाचार रोकथाम (संशोधित) विधेयक 2018
पेश करते हुए कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि विधेयक उन अधिकरियों को सुरक्षा प्रदान करेगा, जो अपना कार्य ईमानदारी से करते हैं। उन्होंने कहा कि विधेयक में भ्रष्टाचार के मामलों में शीध्र सुनवाई सुनिश्चित करने का प्रावधान है। मंत्री ने कहा कि सरकार भ्रष्टाचार के लिए जीरो टॉलरेंस के प्रति बचनबद्ध है। विधेयक में रिश्वत लेने के दोषियों पर जुर्माने के साथ साथ तीन से लेकर सात साल जेल की सजा का प्रावधान कर दिया गया है। यह विधेयक भ्रष्टाचार की रोकथान अधिनियम 1988 में संशोधन करता है। इस विधेयक में रिश्वत लेने के दोषियों पर जुर्माने के साथ साथ 3 से लेकर 7 साल तक जेल की सजा का प्रावधान किया गया है।
बता दें कि भ्रष्टाचार निरोधक कानून करीब तीन दशक पुराना है। इसमें संशोधन की कवायद 2013 में हुई थी। इस विधेयक को पहले संसदीय समिति के पास विचार के लिए भेजा गया था। इसके बाद विधि विशेषज्ञों की समिति और फिर वर्ष 2015 में चयन समिति के पास भेजा गया।इस समिति ने 2016 में अपनी रिपोर्ट सौंपी थी। 2017 में बिल को संसद में लाया गया, लेकिन इस पर कोई फैसला तब नहीं हो सका था।
रिश्वत लेना और देना भारत को क्यों है पसंद
ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल के 2016 के सर्वे के मुताबिक एशिया प्रशांत क्षेत्र के 16 देशों में भारत में सबसे ज्यादा रिश्वत दी जाती है। इन 16 देशों में भारत की रिश्वत दर सबसे ज्यादा है। इस सर्वे में शामिल किए गए भारत के 69 फीसदी लोगों ने स्वीकार किया कि उन्होंने सार्वजनिक सेवा हासिल करने में यानी सरकारी काम करवाने में कभी ना कभी रिश्वत जरूर दी है।
इस क्रम में भारत के बाद वियतनाम का नंबर आता है, जहां 65 फीसदी लोगों ने स्वीकार किया कि उन्होंने रिश्वत दी है। वहीं पाकिस्तान में 40 फीसदी लोगों ने रिश्वत दी, जबकि चीन में 26 फीसदी लोग रिश्वत देते हैं। सर्वे के मुताबिक भारत में 73 फीसदी गरीब लोगों को रिश्वत देनी पड़ती है। हालांकि भारत में 55 प्रतिशत अमीरों को भी सरकारी काम करवाने के लिए रिश्वत देनी पड़ती है। सर्वे के मुताबिक भारत में 10 में से 7 लोग, रिश्वत देते हैं।
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