बारिश में भले ही धूप और लू से राहत मिल जाती है, पर नमी, उमस और चिपचिपाहट पीछा नहीं छोड़ते। यही वजह है कि सेहत के लिहाज से यह मौसम बड़ा संवेदनशील होता है। हवा में नमी का स्तर हानिकारक बैक्टीरिया को तेजी से पनपने के लिए अनुकूल वातावरण देता है। ऐसे में खान-पान में थोड़ी-सी लापरवाही डायरिया व पेट दर्द के अलावा कई गंभीर रोगों का कारण बन जाती है। कई बार इसका असर खून, किडनी व तंत्रिका-तंत्र में भी देखने को मिलता है।
क्या है फूड पॉयजनिंग/What is Food Poisoning
फूड पॉयजनिंग यानी भोजन का विषाक्त व संक्रमित होना। जब हम दूषित खाद्य पदार्थ खाते हैं तो बैक्टीरिया, वायरस और विषैले परजीवी शरीर में प्रवेश कर जाते हैं। इसका नतीजा उल्टी, दस्त, डायरिया तथा पेट दर्द के रूप में सामने आता है। फूड पॉयजनिंग को खाद्यजनित बीमारी या फूडबॉर्न इलनेस के नाम से भी जाना जाता है। भोजन को ढंग से नहीं पकाने या उसका भंडारण सही तरीके से ना करने पर उसमें बैक्टीरिया पनपने लगते हैं। हवा में नमी बढ़ने से भी भोजन जल्दी खराब होता है।
ऐसे होते हैं लक्षण/ SYMPTOMS
दूषित भोजन करने के लगभग दो या तीन घंटे बाद शरीर पर असर दिखने लगता है। हालांकि कई बार एक या दो दिन बाद फूड पॉयजनिंग के लक्षण सामने आते हैं। ऐसा होने पर व्यक्ति बहुत असहज महसूस करने लगता है। पेट में दर्द होने लगता है। यह शुरुआती लक्षण है। धीरे-धीरे पेट दर्द की तीव्रता बढ़ने लगती है। लगातार दस्त या उल्टी होने लगते हैं। लेकिन स्थिति यदि ज्यादा गम्भीर हो जाए तो तेज बुखार, कंपकंपी, चेहरे पर सूजन, सांस लेने में तकलीफ, जोड़ों में दर्द और कुछ निगलने में भी कठिनाई होने लगती है। बार-बार उल्टी और दस्त होने से शरीर में पानी की कमी हो जाती है, जिससे बहुत ज्यादा थकान और कमजोरी महसूस होने लगती है। यहां तक कि अस्पताल में भर्ती कराने की नौबत भी आ सकती है।
क्या करें फूड पॉयजनिंग हो जाने पर/ WHAT WE DO
फूड पॉयजनिंग हो जाने पर शरीर में बहुत कमजोरी आ जाती है और हाजमा भी कमजोर हो जाता है। अगर संक्रमण ज्यादा नहीं है तो कुछ बातों का ध्यान रखकर आराम आ जाता है। स्थिति गंभीर होने पर एंटीबायोटिक दवाओं से ही आराम मिलता है। ज्यादा दस्त या उल्टी से शरीर में पानी की कमी हो जाती है। शरीर के लिए जरूरी इलेक्ट्रोलाइट्स और खनिज जैसे सोडियम, पोटैशियम और कैल्शियम भी बाहर निकल जाते हैं। इनकी पूर्ति के लिए मरीज को ओआरएस (नमक-चीनी) का घोल लगातार पिलाते रहना चाहिए। दाल या सब्जियों का सूप, नारियल पानी और घर पर निकला ताजा फलों का जूस भी पिलाया जा सकता है। इससे शरीर में पानी और खनिज लवणों का स्तर फिर से सामान्य होने में मदद मिलेगी।
ठोस आहार में जल्दबाजी नहीं
ठोस आहार के तौर पर शुरुआत में पतली खिचड़ी या दलिया लें। उबला आलू भी पेट को राहत देता है और केला पेट के लिए फायदेमंद रहता है।
दही का सेवन पहुंचाएगा फायदा
डॉक्टरों की मानें तो फूड पॉयजनिंग में जल्द राहत पाने के लिए दही का सेवन खास लाभकारी होता है। दही में प्रोबायोटिक यानी अच्छे बैक्टीरिया होते हैं, जो हाजमे को मजबूत बनाते हैं। दही चावल, नमकीन लस्सी या किसी फल के साथ दही नियमित रूप से खाएं।
गरिष्ठ भोजन से करें परहेज/Avoid Heavy Food
पाचन शक्ति कमजोर हो जाने पर अधिक वसायुक्त, तेज मिर्च-मसालों का या बहुत ज्यादा रेशेदार भोजन नहीं करना चाहिए। ज्यादा भारी भोजन फिर से तबीयत बिगाड़ सकता है। असल में फूड पॉयजनिंग के बाद वसा आसानी से हजम नहीं होती और तेज मिर्च-मसाले पेट में मरोड़ या ऐंठन पैदा कर सकते हैं।