ग्वालियर। मध्यप्रदेश में यदि किसी अधिकारी के खिलाफ भ्रष्टाचार की शिकायत में प्राथमिक जांच के बाद एफआईआर दर्ज कर ली जाए तो उसे संबंधित पद से हटा दिया जाता है। माना जाता है कि यदि वो पॉवरफुल पोस्ट पर टिका रहा तो जांच को प्रभावित कर सकता है परंतु लोक निर्माण विभाग में ईई डीपी साहू के मामले में ऐसा नहीं किया जा रहा। साहू के खिलाफ आधा दर्जन से ज्यादा शिकायतें हैं। लोकायुक्त एवं ईओडब्ल्यू में भी केस दर्ज है परंतु अब तक साहू को हटाया नहीं गया। वो ग्वालियर में ही जमे हुए हैं। इस मामले ने सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या पीडब्ल्यूडी में उच्च स्तर तक भ्रष्टाचार इतना बढ़ गया है कि अब शिकायतों की जांच को प्रभावित करने के लिए अधिकारियों को पॉवर दी जा रही है।
शिकायतकर्ता देवेन्द्र कुमार आमौरिया (विद्युत ठेकेदार) निवासी 87 शकुंतला पुरी दर्पण कॉलोनी ने बताया कि मेरे द्वारा की गयी शिकायत जिला न्यायालय ओल्ड हाईकोर्ट भवन ग्वालियर में प्रचलन में है। डीपी साहू एवं सब इंजीनियर हेमंत शर्मा द्वारा कुछ विद्युतीकरण कार्यो में भ्रष्टाचार किया गया हैं। जिसकी शिकायत दिनांक 11.01.2018 को मुख्य अभियंता, लोक निर्माण विभाग, उत्तर परिक्षेत्र ग्वालियर के कार्यालय में की थी एवं अधीक्षण यंत्री लोक निर्माण मण्ड़ल ग्वालियर में दिनांक 11.01.2018 को की थी। यह शिकायत पुलिस अधीक्षक महोदय लोकायुक्त मोतीमहल ग्वालियर में दिनांक 12.01.2018 एवं पंजीबद्ध क्रमांक 6/2018 हैं। इसके चलते हाल ही में कार्यपालन यंत्री का तबादला भोपाल आदेश अनुसार हुआ है।
मगर ग्वालियर कार्यपालन यंत्री (वि/यां) कार्यालय के पद के लिये भोपाल से कोई आदेश नहीं आया जिसमें भ्रष्टाचार के आरोपी अधिकारी डीपी साहू को कार्यपालन यंत्री (वि/यां) का पद आपके द्वारा दिया गया हैं। जिससे यह अपने पद का गलत उपयोग करेंगे एवं लोकायुक्त द्वारा द्वारा चल रही जांच को प्रभावित करेंगे। शिकायकर्ता ने बताया कि मुख्य अभियंता के संज्ञान में पूर्व में इनके खिलाफ भ्रष्टाचार की सूचना पत्र द्वारा दे चुका हूं। इसके बावजूद भ्रष्टाचार के आरोपी अधिकारी डी.पी. साहू को कार्यपालन यंत्री (वि/यां) का पद नियुक्त किया गया है।
शिकायकर्ता का सवाल है कि क्या संभाग में कोई और रेगूलर कार्यपालन यंत्री (वि/यां) नहीं हैं अगर मुख्य अभियंता ही डीपी साहू को कार्यपालन यंत्री (वि/यां) का पद देते हैं तो वो भी भ्रष्टाचार की दृष्टि में पाये जायेंगे क्योंकि डीपी साहू पर पूर्व से भ्रष्टाचार की 2 प्रकरण चल रहे हैं।
शिकायकर्ता ने बताया कि अशोक नगर न्यायालय भवन में एजेन्सियों के साथ मिलकर डीपी साहू ने भ्रष्टाचार किया हैं। जिसकी शिकायत उपयंत्री (वि/यां) वीरेन्द्र कुमार शर्मा ने की थी। जिसकी एफआईआर दर्ज है। जिसका क्रमांक जा.क्रं/थाना/EOW/495/2012 भोपाल दिनांक 14.12.2012 हैं। एवं विभागीय जांच भी चल रही हैं। इसके चलते डी.पी.साहू को कार्यपालन यंत्री (वि/यां) का पद दिया गया है। इसके चलते डी.पी.साहू मेरे द्वारा की गयी शिकायत की जांच को प्रभावित करेंगे। क्योंकि 2012 में दर्ज हुये ई.ओ.डब्लू प्रकरण को लंबित कराते चले आ रहे हैं। आज दिनांक तक निराकरण नहीं हुआ हैं।
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