GWALIOR: आज चौथे दिन गुरुवार को भी प्रदेश के जूनियर डॉक्टर्स की हड़ताल पर हैं। वहीं प्रदेश के पांचों मेडिकल कॉलेज प्रबंधन का दावा है कि हड़ताल खत्म हो चुकी है। लेकिन अस्तालों में मरीजों को इलाज नहीं मिल पा रहा है। मध्यप्रदेश हाई कोर्ट ने राज्य के सभी शासकीय मेडिकल कॉलेजों में 23 जुलाई से जारी हड़ताल को अवैध घोषित कर दिया है। इसी के साथ डॉक्टर्स, जूनियर डॉक्टर्स, नर्सेस और टेक्निकल स्टाफ को तुरंत काम पर लौटने निर्देश दे दिए हैं। हाईकोर्ट के आदेश के बाद नर्सों ने अपनी हड़ताल खत्म कर दी है। इसके साथ ही नर्सेस एसोसिएशन ने मांग की है हड़ताल के दौरान बर्खास्त की गई नर्सों को बहाल किया जाए। यदि बर्खास्त नर्सों को 24 घंटे के अंदर बहाल नहीं किया गया तो वह फिर से हड़ताल पर चलें जाएंगे। इससे पहले दिन में जीएमसी प्रशासन ने ड्यूटी ज्वाइन नहीं करने पर 4 जूनियर डॉक्टर और 6 नर्स को निष्कासित कर दिया। प्रशासन ने हड़ताल में शामिल पीजी फर्स्ट ईयर के 100 जूनियर डॉक्टर को गुरुवार सुबह 9 बजे तक ड्यूटी ज्वाइन करने को कहा है। यदि ये काम पर नहीं लौटे तो इन्हें भी निष्कासित कर दिया जाएगा।
हाईकोर्ट ने कहा-हड़ताल अवैध, इसे खत्म करें:इससे पहले मप्र हाईकोर्ट ने सरकारी डॉक्टरों, नर्सों और अन्य स्टाफ को चेतावनी देते हुए हड़ताल खत्म कर काम पर लौटने के निर्देश दिए। जस्टिस आरएस झा एवं जस्टिस मोहम्मद फहीम अनवर की खंडपीठ ने साफ कहा कि यदि डॉक्टर और अन्य स्टाफ परोक्ष या अपरोक्ष किसी भी रूप में हड़ताल जारी रखते हैं तो उनके खिलाफ सरकार के साथ-साथ कोर्ट भी वैधानिक कार्रवाई करेगी।
देर रात जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन भोपाल के संयुक्त सचिव डॉ. अभिनव नरवरिया ने कहा कि हमसे जेडीए के लेटरपैड पर जबरन हड़ताल खत्म करने का लैटर लिखवाया गया। हमारी हड़ताल जारी है। गुरुवार को मुख्यमंत्री से मुलाकात के बाद रुख स्पष्ट करेंगे। दरअसल खबर आई थी कि जीएमसी डीन को जूनियर डॉक्टरों ने हड़ताल खत्म करने का पत्र दिया है। इसकी जानकारी चिकित्सा शिक्षा आयुक्त शिवशेखर शुक्ला को भी भेजी गई। इसी पर जेडीए ने अपना रुख रखा। वहीं डीन ने कहा कि जेडीए ने हमें हड़ताल खत्म करने के लिए लिखकर दिया है।
हालांकि पिछले दो दिन में जितने भी नर्सिंग स्टाफ पर निष्कासन की कार्रवाई हुई, वह बरकरार रहेगी। चिकित्सा शिक्षा विभाग ने मध्यप्रदेश स्वशासी चिकित्सा महाविद्यालय चिकित्सकीय सेवा आदर्श नियम 2018 में संशोधन करने का फैसला लिया है। इसके बावजूद अगर 24 घंटे में ज्वाइनिंग नहीं की तो कर्मचारी की सेवा भी समाप्त हो जाएगी।
इसके अलावा 24 जूनियर डॉक्टरों के निष्कासन के बाद 21 का पंजीयन रद्द करने के लिए मप्र मेडिकल काउंसिल को पत्र लिखा गया है। काउंसिल से गुरुवार को इन डॉक्टरों के पंजीयन हफ्तेभर के लिए निरस्त करने के आदेश जारी हो सकते हैं।