कमलनाथ: संविदा कर्मचारी और सरकारी नौकरियों के बारे में विचार | Kamal nath @ Samvida Karmachari n Govt job

Bhopal Samachar
भोपाल। दैनिक भास्कर के न्यूजरूम में पाठकों के सवालों के जवाब देने पहुंचे प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने कई मुद्दों पर अपने विचार रखे। संविदा कर्मचारियों के बारे में उन्होंने अपनी स्पष्ट नीति सामने रखी। उन्होंने कहा कि 10-15 साल से काम कर रहे सभी संविदा कर्मचारियों को नियमित किया जाएगा। नई संविदा नियुक्तियां 1 या 2 साल के ही लिए ही होंगी। अध्यापकों को शिक्षा विभाग में संविलियन के बारे में वो पहले ही कह चुके हैं कि सरकार आते ही पहला आदेश यही जारी होगा लेकिन अतिथि शिक्षकों के बारे में उन्होंने अपनी कोई राय नहीं रखी। इतना ही नहीं मध्यप्रदेश में रिक्त पड़े पदों पर नियमित कर्मचारियों की भर्ती को लेकर भी उन्होंने कोई बात नहीं की। कमलनाथ ने भी सरकारी नौकरियों के बजाए रोजगार की बात की। 

सिर्फ 10-15 साल से काम कर रहे संविदा कर्मचारी नियमित होंगे

संविदा कर्मचारियों के बारे में कमलनाथ ने कहा कि मैं संविदा व्यवस्था के खिलाफ हूं। जो लोग 10-15 साल से इस व्यवस्था में काम कर रहे हैं, उन्हें नियमित किया जाएगा। ऐसा कानून भी लाएंगे कि यदि किसी की आवश्यकता भी है तो वह एक-दो साल से ज्यादा न हो। बता दें कि मध्यप्रदेश में करीब 1.84 लाख संविदा कर्मचारी हैं। कई कर्मचारी ऐसे भी हैं जिन्हे बिना किसी कारण से निष्कासित कर दिया गया है। इस तरह इनकी संख्या 2 लाख से ज्यादा हो जाती है। सभी नियमितीकरण की मांग कर रहे हैं परंतु कमलनाथ ने केवल 10-15 साल से लगातार काम कर रहे संविदा कर्मचारियों को नियमित करने की बात की है। 

सरकारी नौकरियों का सवाल टाल गए कमलनाथ

मध्यप्रदेश में 60 लाख लोग पढ़े-लिखे बेरोजगार हैं। करीब 2 लाख पद रिक्त पड़े हुए हैं जबकि विभिन्न योजनाओं में भी कर्मचारियों की जरूरत है। लोग सरकारी नौकरी मांग रहे हैं। 2011 से अब तक मध्यप्रदेश में संविदा शाला शिक्षक की भर्ती नहीं हुई है। मध्यप्रदेश में बाहरी उम्मीदवारों की सरकारी सेवाओं में भर्ती भी एक बड़ा मुद्दा है परंतु कमलनाथ सबकुछ टाल गए। उन्होंने कहा न कोई घोषणा करूंगा, न वादा। मैं मुख्यमंत्री शिवराज सिंह की तरह घोषणावीर नहीं बनना चाहता। इतिहास में इतनी घोषणाएं किसी ने नहीं की, जितनी उन्होंने की हैं। बात रोजगार की है तो यह जरूर कहूंगा कि निवेश, इंफ्रास्ट्रक्चर के ऐसे रोडमैप व माहौल बनाए जाएंगे, जिसमें रोजगार होगा। सेल्फ इंप्लायमेंट मिलेगा। कुल मिलाकर सरकारी नौकरी के बजाए रोजेगार की बात की गई। प्राइवेट सेक्टर में नौकरियों की उम्मीद और पकौड़े के बजाए बर्गर का विकल्प सामने है। 
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