इलाहाबाद। जॉब ओरिएंटेड कोर्स को पिछले 10 सालों में जबर्दस्त रेस्पांस मिला था। पेरेंट्स अपने बच्चों को ऐसी डिग्रियां दिलाना चाहते थे जिससे उसका भविष्य सुरक्षित हो जाए और वो बेरोजगार ना रहे। एमबीए और ऐसे ही दर्जनों कोर्स, बीई और इसी तरह के दर्जनों कोर्स में एडमिशन के लिए लम्बी लाइनें हुआ करतीं थीं परंतु अब कॉलेज लाइन लगाकर स्टूडेंट्स का इंतजार कर रहे हैंं। ऐसा ही कुछ इस साल डीएलएड के साथ हो गया। पहले चरण में प्रवेश के बाद भी कालेजों में 147368 सीटें खाली रह गई हैं।
अब सिर्फ प्रतिष्ठित कॉलेज में ही एडमिशन
ज्ञात हो कि प्रवेश के लिए चार लाख से अधिक ने पंजीकरण कराया, उसमें से 303689 ने ही अंतिम रूप से आवेदन किया। पहले चरण में स्टेट रैंक घोषित करके ऑनलाइन काउंसिलिंग कराई गई। सभी अभ्यर्थियों को चार जुलाई तक प्रवेश लेना था लेकिन, कई अभ्यर्थियों को आवंटन पत्र निकालने में दिक्कत हुई ऐसे में प्रवेश की समय सीमा नौ जुलाई तक बढ़ाई गई।
65% ने कॉलेज आवंटन के बाद एडमिशन नहीं लिया
परीक्षा नियामक प्राधिकारी सचिव डा. सुत्ता सिंह ने बताया कि पहले चरण में कुल 82707 अभ्यर्थियों ने विभिन्न कालेजों में प्रवेश लिया है, जबकि कालेज आवंटन 136945 का किया गया था, यानी 54238 ने कालेज आवंटित होने के बाद भी प्रवेश नहीं लिया।
सचिव ने बताया कि अब कालेजों में 147368 सीटें बची हैं, उनमें प्रवेश देने के लिए दूसरा चरण 12 जुलाई से शुरू होगा। ज्ञात हो कि प्रदेश में 3419 कुल डीएलएड कालेज हैं और इस बार सीटों की संख्या बढ़कर 230075 हो गई थी। दूसरे चरण में सभी सीटें भरने की उम्मीद नहीं है।
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