MP BJP: नेता पुत्रों के टिकट खतरे में, हाईकमान नाराज

Bhopal Samachar
भोपाल। मध्यप्रदेश में 1 दर्जन से ज्यादा दिग्गज नेताओं ने अपने पुत्रों को विधानसभा चुनाव 2018 के लिए तैयार कर दिया है। पिछले कुछ सालों में नेताओं ने कई कार्यक्रमों में अपनी जगह अपने पुत्रों को भेजा। सरकारी साधन मुहैया कराए यहां तक कि कुछ सरकारी कार्यक्रमों में भी पुत्रों का प्रदर्शन किया गया लेकिन भाजपा का हाईकमान दिग्गज नेताओं की इन हरकतों से नाराज है। अमित शाह की टीम नहीं चाहती कि नेताओं के बेटे, बेटी या रिश्तेदारों को टिकट मिले और भाजपा पर वंशवाद का आरोप लगे। 

केंद्रीय नेतृत्व ने इतनी राहत जरूर दी है कि यदि किसी नेता का बेटा या बेटी पार्टी में सक्रिय है और जीतने लायक चेहरा है तो उनके पिता को अपनी सीट खाली करनी पड़ेगी। 2018 के विधानसभा चुनावों में संभवत: पहली बार होगा कि जब भाजपा में 17 नेताओं के पुत्र-पुत्री या अन्य परिजन टिकट की दावेदारी पेश कर रहे हैं। पिछले दो बार के चुनावों से यह सर्वाधिक है। इस बार मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के पुत्र कार्तिकेय चुनाव से ठीक पहले खासे सक्रिय दिख रहे हैं। हाल ही में वे मोर्चा की बाइक रैली के दौरान पहले सीहोर में फिर पन्ना और सतना भी गए। उन्होंने कहा है कि वो चुनाव नहीं लड़ेगे परंतु शिवराज सिंह का फैसला कब बदल जाए कहा नहीं जा सकता। 

भाजपा में परिवारवाद पहले से ही स्थापित है
वंशवाद का मुखर विरोध करने वाली बारतीय जनता पार्टी में ऐसे भी कई उदाहरण हैं, जिसमें परिवार के लोग ही सत्ता में हैं। सांसद प्रहलाद पटेल के भाई जालिम सिंह पटेल राज्य सरकार में मंत्री हैं। कैबिनेट मंत्री विजयशाह के भाई संजय शाह विधायक और पत्नी महापौर रह चुकीं हैं। पूर्व मंत्री व सांसद ज्ञान सिंह के बेटे शिवनारायण को भाजपा ने उपचुनाव में टिकट दिया, जीतकर वे विधायक हैं। केंद्रीय मंत्री थावरचंद गेहलोत के बेटे जितेंद्र विधायक हैं। वेयर हाउसिंग कॉर्पोरेशन के अध्यक्ष राजेंद्र सिंह पाल के भाई विजयपाल दो बार से विधायक हैं। इसी तरह पूर्व केंद्रीय मंत्री व सांसद फग्गन सिंह कुलस्ते के भाई रामप्यारे कुलस्ते विधायक हैं। अब उनकी बेटी या दामाद में से कोई एक दावेदार होगा।

कांग्रेस में नेता पुत्रों से परहेज नहीं
कांग्रेस को नेता पुत्रों को विधानसभा चुनाव का टिकट देने से कोई परहेज नहीं है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ के पुत्र नकुल नाथ की राजनीति में सक्रियता कम है। वे सिर्फ नाथ के कार्यभार ग्रहण करने के समय ही मंच पर नजर आए थे, उसके बाद पार्टी के किसी भी कार्यक्रम में नहीं दिखे। नाथ भी स्पष्ट कर चुके हैं कि नकुल अभी राजनीति में नहीं है। वहीं प्रदेश कांग्रेस चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष और सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया के बेटे महाआर्यमन सिंधिया अभी 22 साल के हैं और किसी भी राजनीतिक गतिविधि में शामिल नहीं होते हैं। वे सिर्फ अपनी मां प्रियदर्शनी राजे सिंधिया के साथ सामाजिक गतिविधियों में नजर आते थे। हाल ही में उन्होंने सिंधिया के संसदीय क्षेत्र गुना-शिवपुरी-अशोकनगर का दौरा किया। उन्होंने सार्वजनिक स्थानों पर चाय पी तो कहीं आलू की टिकिया बनाकर लोगों को खिलाई। इस दौरान उन्हें जनसमर्थन भी मिला। दिग्विजय सिंह स्वयं राज्यसभा सांसद हैं और उनके बेटे जयवर्धन सिंह विधायक हैं। दोनों ही राजनीति में सक्रिय हैं।

पिता की दम पर तैयार हुए ये युवराज
नरेंद्र सिंह तोमर के पुत्र रामू, 
प्रभात झा के बेटे तुष्मुल, 
कैलाश विजयवर्गीय के बेटे आकाश, 
गोपाल भार्गव के पुत्र अभिषेक, 
जयंत मलैया के बेटे सिद्धार्थ, 
मालिनी गौड़ के बेटे एकलव्य, 
सुमित्रा महाजन के पुत्र मंदार, 
गौरीशंकर बिसेन की बेटी मौसम, 
माया सिंह के पुत्र पीतांबर सिंह, 
गौरीशंकर शेजवार के पुत्र मुदित, 
नरोत्तम मिश्रा के बेटे सुकर्ण मिश्रा, 
कमल पटेल के बेटे सुदीप, 
नंदकुमार सिंह चौहान के बेटे हर्षवर्धन।

इस विषय में नेता पुत्रों के तर्क
नेता-पुत्र होने के आधार पर ही टिकट कटना या मिलना ठीक नहीं, लेकिन भाजपा में काम के आधार पर फैसला हो। 
रामू तोमर (पिता नरेंद्र सिंह तोमर)

तुष्मुल झा (पिता प्रभात झा)
यह सही है कि एक दिन में कोई कार्यकर्ता नहीं बनता। मेरे परिवार में राजनीतिक माहौल बचपन से है। मैं 3-4 साल से युवा मोर्चा में हूं।

सिद्धार्थ मलैया (पिता जयंत मलैया)
यह पार्टी को तय करना है, लेकिन मैं 14 साल से सक्रिय हूं। पहले युवा मोर्चा में प्रदेश कार्य समिति सदस्या था, अब शिक्षा प्रकोष्ठ देख रहा हूं। (Source)
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