उपदेश अवस्थी/भोपाल।। फाइनली वो बात छनकर बाहर आ ही गई जिसे अब तक छुपाया जा रहा था। 2018 के दंगल में असली पहलवान तो दिग्विजय सिंह ही हैं, कमलनाथ तो केवल मुखौटा है। अब पार्टी के नेता भी दबी जुबान में इसे स्वीकारने लगे हैं। पिछले कुछ घटनाक्रमों पर ध्यान दें तो समझ आएगा कि मध्यप्रदेश में कांग्रेस की कमान, कमलनाथ नहीं, दिग्विजय सिंह के हाथ में है और वही कांग्रेस को लीड कर रहे हैं। यदि ज्योतिरादित्य सिंधिया की बात करें तो वो कांग्रेस में स्टार प्रचारक से ज्यादा कुछ नहीं रह गए हैं। ठीक वैसे ही जैसे बिहार में कभी शत्रुघ्न सिन्हा हुआ करते थे। फिलहाल कुछ संकेत मिलना शुरू हो गए हैं। टिकट वितरण तक स्थिति स्पष्ट हो जाएगी।
कमलनाथ बस औपचारिक प्रदेश अध्यक्ष हैं
याद दिला दें कि हाल ही में कमलनाथ को मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष बनाया गया। लोगों का तब भी सवाल यही था कि इतने कम समय में कमलनाथ पूरे मध्यप्रदेश पर कैसे संपर्क स्थापित कर पाएंगे। माना जा रहा था कि कमलनाथ धुंधाधार यात्रा पर निकलेंगे और पूरे मध्यप्रदेश का दौरा करेंगे परंतु ऐसा कुछ नहीं हुआ। कमलनाथ जितना समय अपने निवाचन क्षेत्र छिंदवाड़ा को दिया करते थे उतना ही मध्यप्रदेश कांग्रेस को दे रहे हैं। ट्वीटर पर हर रोज एक बयान जारी कर अपना कर्तव्य पूरा कर लेते हैं। छिंदवाड़ा की तरह भोपाल में भी उन्होंने एक टीम एक्टिव कर दी है जो काम कर रही है। दिग्गजों से दोस्ती के लिए कमलनाथ पहले से ही माहिर हैं अत: मीडिया में उन्हे सुर्खियां भी मिल जातीं हैं लेकिन इन सबको तात्पर्य मध्यप्रदेश का सर्वमान्य नेता बन जाता तो नहीं होता।
दिग्विजय सिंह ने पूरी कांग्रेस पर कंट्रोल कर लिया
कमलनाथ की नियुक्ति के कुछ समय बाद ही दिग्विजय सिंह को समन्वय समिति का अध्यक्ष बना दिया गया। इसी के साथ उन्होंने 'एकता यात्रा' की शुरूआत कर दी। कहने को तो यह कांग्रेस में गुटबाजी खत्म करने के लिए निकाली जा रही यात्रा है परंतु दिग्विजय सिंह को नजदीक से जानने वाले बेहतर समझते हैं कि इस यात्रा के बहाने दिग्विजय सिंह ने एक बार फिर पूरी कांग्रेस को अपनी छांव लते जमा कर लिया है। मध्यप्रदेश में केवल 3 ही नेता हैं जो शहर-शहर घूम रहे हैं। सीएम शिवराज सिंह, चुनावी जीत के लिए, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह स्वागत-सत्कार का आनंद उठाने के लिए और तीसरे हैं दिग्विजय सिंह।
शोमैन दिग्विजय सिंह ही हैं
दिग्विजय सिंह भले ही नर्मदा यात्रा पर थे परंतु उनकी नजर कांग्रेस पर ही थी। वो पिछले 1 साल से लगातार मध्यप्रदेश में खुद को तेजी से मजबूत कर रहे हैं। वो बार-बार दोहरा रहे हैं कि यदि मुझसे कहा भी गया तो मैं सीएम नहीं बनूंगा परंतु इसका अर्थ यह तो कतई नहीं निकाला जाना चाहिए कि वो कमलनाथ या ज्योतिरादित्य सिंधिया को सीएम बनने का अवसर प्रदान करेंगे। मध्यप्रदेश में राजनीति के चाणक्य कहे जाने वाले अर्जुन सिंह के शार्गिद दिग्विजय सिंह की रणनीतियों को समझ पाना दिग्गजों के लिए भी कतई आसान नहीं है। फिलहाल यह समझ लेना काफी है कि मध्यप्रदेश में कमलनाथ की टीम के इतर दिग्विजय सिंह की टीम ना केवल सक्रिय है बल्कि पॉवर में भी है।
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