नई दिल्ली। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंचने के लिए गठबंधन की जोड़तोड़ लगा रहे मध्यप्रदेश कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ का सपना आज मायावती ने पूरी तरह से तोड़ दिया। कमलनाथ चाहते हैं कि चुनाव पूर्व गठबंधन करके बीएसपी को सीमित सीटों में बांध दिया जाए और बहुमत के लिए जरूरी उन 20-30 सीटों को अपने खाते में जमा कर लिया जाए जो बीएसपी के कारण कांग्रेस के हाथ से निकल जातीं हैं परंतु बीएसपी यहां कर्नाटक के फार्मूले पर काम कर रही है। मायावती ने इस मामले में बड़ा बयान दिया है। कमलनाथ खुद को मैनेजमेंट का माहिर मास्टर बताते हैं। कहते हैं कि उनके मायावती से भी बड़े अच्छे रिश्ते हैं, लेकिन मायावती ने बयान ने उनके दावों को RECYCLE BIN में पहुंचा दिया।
क्या चाहते हैं कमलनाथ
कमलनाथ चाहते हैं कि बीएसपी एवं गोंडवाना गणतंत्र पार्टी से चुनाव पूर्व ही गठबंधन हो जाए। ऐसी स्थिति में करीब 70-80 सीटें भाजपा से छीनी जा सकतीं हैं। करीब 80 सीटों पर कांग्रेस की स्थिति मजबूत है। इस तरह मध्यप्रदेश में आसानी से कांग्रेस की सरकार बनाई जा सकेगी। कमलनाथ चाहते हैं कि यह गठबंधन चुनाव से पहले हो जाए ताकि मुख्यमंत्री की कुर्सी पर उनका एकाधिकार बना रहे।
कांग्रेस से गठबंधन पर मायावती ने क्या कहा
बसपा सुप्रीमो मायावती ने कहा कि मध्यप्रदेश में कांग्रेस के साथ तालमेल उसी दशा में हो सकता है जब हमको गठबंधन के तहत सम्माजनक सीटें मिलेंगी। ऐसा नहीं होने पर हम अकेले चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं।
कर्नाटक में क्या हुआ था
मध्यप्रदेश की ही तरह गुजरात और कर्नाटक में भी भाजपा और कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला था। दोनों राज्यों में कांग्रेस ने पूरी ताकत झोंकी और भाजपा के खिलाफ विशेष अभियान चलाया। सब जानते हैं गुजरात में सत्ता का भारी विरोध होने के बावजूद कांग्रेस सरकार नहीं बना पाई। वो बहुमत से थोड़ी दूर रह गई। कर्नाटक में भी ऐसा ही हुआ। भाजपा को 104 सीटें मिलीं और कांग्रेस 78 पर सिमटकर रह गई। तीसरे नंबर पर थी जनता दल (सेक्युलर) (जदएस) जिसे मात्र 37 सीटें मिलीं। भाजपा को सत्ता में जाने से रोकने के लिए 78 सीटों वाली कांग्रेस को 37 सीटों वाली जनता दल (सेक्युलर) को समर्थन देना पड़ा और कर्नाटक में जनता दल (सेक्युलर) का नेता मुख्यमंत्री की कुर्सी पर है।
मध्यप्रदेश में क्या हो सकता है
मध्यप्रदेश में बहुूजन समाज पार्टी और गोंडवाना गणतंत्र पार्टी का अपने अपने इलाकों में प्रभुत्व स्थापित है। किसी भी प्रकार की आंधी इनके वोटों को प्रभावित नहीं कर पाती। कांग्रेस का मानना है कि ये दोनों पार्टियां कांग्रेस के वोट काटतीं हैं और इसी कारण भाजपा की सरकार बन जाती है। भोपाल समाचार डॉट कॉम के आॅनलाइन सर्वे के अनुसार यदि दोनों पार्टियों ने स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ा और कांग्रेस ने अपना उम्मीदवार नहीं उतारा तो दोनों पार्टियों को करीब करीब 70-80 सीटें मिल जाएंगी। यदि कांग्रेस ने उम्मीदवार उतार दिया और आज ही वोटिंग हुई तब भी 40 सीटों के आसपास मिलने की उम्मीद है। ऐसे में कांग्रेस की हालत कर्नाटक जैसी हो जाएगी। ज्यादा सीटें लाने के बाद भी कांग्रेस को इन 2 पार्टियों में से किसी एक को समर्थन देना पड़ेगा।
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