भोपाल। मध्यप्रदेश की राजनीति में प्रमोशन में आरक्षण एक बड़ा मुद्दा है। सीएम शिवराज सिंह के 'माई का लाल' भड़काऊ बयान के बाद अनारक्षित वर्ग प्रमोशन में आरक्षण के खिलाफ लामबंद हो गया है। सपाक्स के कमजोर पड़ जाने के कारण सुप्रीम कोर्ट ने फैसला आने तक प्रमोशन में आरक्षण जारी रखने के निर्देश दिए हैं। केंद्र सरकार कार्मिक एवं प्रशिक्षण मंत्रालय (डीओपीटी) ने मध्यप्रदेश के मुख्य सचिव को पत्र लिखा है। शिवराज सिंह सरकार की याचिका पर ओआईसी रहे आरके मेहरा का कहना है कि सामान्य प्रशासन विभाग को अब नए नियम बनाकर प्रमोशन में आरक्षण की व्यवस्था लागू करना चाहिए।
मप्र में 2016 में हाईकोर्ट ने 2002 में दिग्विजय सिंह सरकार द्वारा लागू किए गए प्रमोशन में आरक्षण के नियम को खारिज कर दिया था। इस फैसले के खिलाफ मई 2016 से राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई है। तभी से मध्यप्रदेश में प्रमोशन पर रोक लगी हुई है। इससे दो साल में 35 हजार कर्मचारी तो बगैर प्रमोशन के रिटायर हो गए हैं और 15 हजार से ज्यादा प्रमोशन का रास्ता देख रहे हैं।
रिजर्वेशन जारी रखने के बारे में निर्देश दिए
सुप्रीम कोर्ट ने प्रमोशन में आरक्षण दिए जाने की व्यवस्था अंतिम आदेश आने तक जारी रखने की बात कही थी, लेकिन यह फैसला केंद्र सरकार के लिए 17 मई 2018 को दिया था। इसके बाद केंद्र सरकार के कार्मिक मामलों के मंत्रालय ने सभी राज्यों के मुख्य सचिवों को प्रमोशन में रिजर्वेशन जारी रखने के बारे में निर्देश दिए हैं।
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