
एक अधिकारिक सूचना के अनुसार छिदंवाडा जिले में राईस मिलर्स ने निगम को 650 टन घटिया चावल दिया है वह निर्धारित गुणवत्ता के मान से 40 फीसदी अमानक पाया गया है जबकि निगम 20 प्रतिशत तक अमानक स्तर का चावल स्वीकार करता है। निगम द्वारा राईस मिलर्स को 20.64 लाख टन धान दी थी। 11 जिलों के मिलर्स ने अभी तक 182550 टन चावल ही दिया है। निगम की खाद्यान्न गुणवत्ता परखने वाली टीम ने प्रदाय की किये गये चावल की जांच की तो 10 प्रतिशत घटिया पाया गया है। यह चावल 1217 स्टेग में रखा गया था। इनमें से 119 स्टेग का चावल अमानक मिला।
निगम ने मिलर्स को यह चावल वापस ले जाने और बदले में निर्धारित गुणवत्ता के अनुसार चावल बदलकर देने के निर्देश दिये थे लेकिन 8 मिलर्स ने चावल बदलकर देने से इंकार कर दिया। 17850 टन में से 16050 टन चावल 5 मिलर्स ने बदलकर वापिस किया, इसका बाजार मूल्य करीब 44.50 करोड रूपये है।
सबसे ज्यादा खराब चावल छिंदवाडा, सतना, रीवा और सिंगरोली जिले में पाया गया है। मिलर्स ने अभी भी 1800 टन चावल वापस नही लिया है। जिन 11 जिलों में अमानक स्तर का चावल पाया गया है उनमें छिंदवाडा, मण्डला, नरसिहंपुर, सिवनी, सतना, सीधी, रीवा, शहडोल, अनुपपुर, उमरिया और सिंगरोली शामिल है।
यह उल्लेखनीय है की खादय एवं आपूर्ति विभाग प्रतिवर्ष लगभग 45 लाख टन चावल सार्वजनिक वितरण प्रणाली के माध्यम से देता है। यह चावल कस्टम मिलिंग के माध्यम से मिलर्स को धान देकर उसके एवज में प्राप्त किया जाता है।
इस संबंध में निगम ने 8 राईस मिलर्स को ब्लेकलिस्ट करते हुये चावल वापस ले जाने के लिये 3 महिने का समय दिया है। इसके बाद भी वे चावल वापस नही ले जाते तो उनके द्वारा जमा की गई सुरक्षा निधि जप्त की जायेगी साथ ही कानूनी कार्यवाही की जायेगी। जिन मिलर्स को ब्लैक लिस्टेड किया गया है। उनके नाम मां शारदा राइस मिल, खुशी राइस मिल, रेवा राइस मिल, डायमंड राइस मिल, मां शारदा राइस मिल, वंदना राइस मिल, जीएम इंडस्ट्री और संजय दाल मिल के नाम बताए जा रहे हैं।
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