भोपाल। नियमितीकरण के संबंध में उच्च शिक्षा मंत्री जयभान सिंह पवैया के बयान से नया विवाद खड़ा हो गया है। दरअसल सोमवार को इंस्टीट्यूट फॉर एक्सीलेंस इन हायर एजुकेशन में हुए कार्यक्रम में कॉलेज के शिक्षकों और कर्मचारियों से मंत्री ने कहा- 'मैं देख रहा हूं कि नौकरी परमानेंट होने के बाद कर्मचारियों के काम का तरीका और स्पीड बदल जाती है। भारत में ऐसा क्यों होता है, यह बड़ा सवाल है।'
उन्होंने आगे कहा- 'असिस्टेंट प्रोफेसर्स के 3 हजार से अधिक पद भरे जा रहे हैं। यदि हम कॉलेजों को रेगुलर टीचर्स दे पाएंगे तो उच्च शिक्षा की गुणवत्ता में कैसा इंप्रूवमेंट होगा, यह अगले एक साल में स्पष्ट हो जाएगा।' मंत्री का बयान अस्थाई प्राध्यापक संघ को रास नहीं आया है। संघ ने कहा कि मंत्री का बयान कॉलेजों में कार्यरत 10 हजार से अधिक अतिथि विद्वानों को निराश करने वाला है।
अस्थाई प्राध्यापक संघ के सचिव डॉ. डीपी सिंह का कहना है कि नियमित नहीं होने के कारण हर संवर्ग के कर्मचारी या शिक्षक को अपना भविष्य अधर में लटका दिखता है। यदि अतिथि विद्वानों को अभी भी नियमित करती है तो उच्च शिक्षा की स्थिति में तुरंत सुधार देखने को मिल सकते हैं। क्योंकि, वह अनिश्चिता की तकलीफ से अपने आप को दूर रखने में सफल हो सकेगा। लेकिन,मंत्री ही इस तरह बहानेबाजी करने में लगे हैं। यह बयान अतिथि विद्वानों को निराश करने वाला है।
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