भोपाल। मध्यप्रदेश में शिवराज सिंह चौहान के विरोध के चलते कांग्रेस के पक्ष में बना माहौल कमलनाथ की नियुक्ति के बाद अब बदलता जा रहा है। कमलनाथ ने दावा किया था कि उनकी नियुक्ति के कारण कांग्रेस को गुटबाजी का नुक्सान नहीं होगा परंतु अब खुद कमलनाथ ही गुटबाजी के आरोपित बन गए हैं। ताजा प्रदेश कार्यसमिति में कमलनाथ न यह प्रमाणित करने का प्रयास किया है कि मध्यप्रदेश में अब सबसे बड़ा गुट उनका है। इधर मीनाक्षी नटराजन इससे काफी नाराज हैं। उन्होंने गांधीवादी तरीके से अपना विरोध दर्ज कराया। प्रदेश अध्यक्ष द्वारा बुलाई गई मीटिंग में शामिल हुईं परंतु जैसे ही गुटबाजी से स्वर तेज हुए उठकर चली गईं।
मीटिंग में मंच पर मीनाक्षी नटराजन के लिए कोई कुर्सी आरक्षित नहीं थी। मीनाक्षी आईं और मंच के नीचे लगी कुर्सियों पर बैठ गईं। जब कमलनाथ की नजर उन पर पड़ी तो उन्होंने मीनाक्षी को मंच पर आमंत्रित किया परंतु इससे पूर्व हो चुके घटनाक्रम से मीनाक्षी नाराज थीं। बताया जा रहा है कि वहां माहौल कांग्रेस की मीटिंग जैसा नहीं था, सीएम कैंडिडेट कमलनाथ की मीटिंग जैसा था। कमलनाथ ने मीनाक्षी को मंच पर बुलाया। इसके बावजूद भी वे मंच पर नहीं गईं। इस दौरान वे मंच के सामने कुर्सी पर बैठी रहीं और मोबाइल में व्यस्त होने का दिखवा करती रहीं। थोड़ी देर बाद जब उन्हे लगा कि वो अपनी भावनाओं पर नियंत्रण नहीं रख पा रहीं हैं तो बैठक के दौरान ही वे उठकर चली गईं।
बता दें कि इससे पहले भी मीनाक्षी नटराजन की कमलनाथ से टकराव की खबरें सामने आई थी जब नव नियुक्त प्रदेशाध्यक्ष कमलनाथ ने प्रदेश कांग्रेस की समितियां बनाईं थीं। उस दौरान मीनाक्षी नटराजन के समर्थकों ने नीमच, मंदसौर और रतलाम में बड़े पैमाने पर पार्टी पदों से इस्तीफे देने शुरू कर दिए थे। बताया जा रहा है कि हाल ही जारी हुई पीसीसी लिस्ट में मीनाक्षी या दूसरे कई दिग्गज नेताओं से सलाह तक नहीं ली गई।
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