उपदेश अवस्थी/भोपाल। मध्यप्रदेश में कांग्रेस और भाजपा ने महाकाल का मजाक बनाकर रख दिया है। सीएम शिवराज सिंह ने उज्जैन से अपनी यात्रा की शुरूआत की तो कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ ने महाकाल के नाम चिट्ठी लिख दी, मानो महाकाल उनके समकक्ष केंद्रीय मंत्री हों। चिट्ठी की भाषा में भी विनम्रता का अभाव था। इस तरह से कमलनाथ ने भगवान महाकाल को राजनीति में घसीट लिया। भाजपा के कुछ अल्पज्ञानी चले तो उन्होंने भी एक चिट्ठी जारी कर दी। इसमें शिव मंडल में शामिल नंदी महाराज को प्रेषक बना दिया गया। अब कांग्रेस की तरफ से एक और चिट्ठी जारी कर दी गई है।
कांग्रेस की ओर से जारी हुई यह चिट्ठी एक कारण बताओ नोटिस जैसी है। प्रेषक भगवान महाकाल हैं। नंदी महाराज को संबोधित करते हुए पूछा है कि उन्होंने बिना अनुमति कमलनाथ को चिट्ठी क्यों लिखी। कुल मिलाकर भगवान महाकाल का मजाक बनाकर रख दिया। सोशल मीडिया पर सब अपनी अपनी चिट्ठियों को ज्यादा से ज्यादा वायरल कर रहे हैं लेकिन जो इस चिट्ठियों को लाइक और शेयर कर रहे हैं शायद उन्हे नहीं मालूम कि 'शिवद्रोह' कर रहे हैं। हम बताते हैं कि शास्त्रों में 'शिवद्रोहियों' के लिए क्या दंड विधान हैं और इस दंड से उनकी पार्टियां भी उन्हे बचा नहीं पाएंगी।
श्री रामचरित मानस - लंकाकांड - दोहा 2 में भगवान श्रीराम ने कहा है:
शंकर प्रिय मम द्रोही, शिव द्रोही मम दास
ते नर करहिं कल्प भर, घोर नरक मंह वास।
अर्थात: जिस व्यक्ति को शिव प्रिय हैं परंतु वो 'राम' का उपहास करता है या जो व्यक्ति 'शिव' का द्रोही है मेरा दास बनना चाहता है। उसकी मनोकामनाएं कभी पूरी नहीं हो सकतीं। उसका सबकुछ नष्ट हो जाएगा। उसके परिजन उसे त्याग देंगे। समाज उसका बहिष्कार कर देगा। वो अन्न के लिए तरसेगा। प्यास से तड़पेगा। ऐसे व्यक्ति को एक कल्प तक घोर नरक की प्रताड़नाएं भोगनी होंगी। हम यह भी बता देते हैं कि एक कल्प की गणना कैसे की जाती है। शास्त्रानुसार एक कल्प में एक हज़ार चतुर्युगी होते हैं। चतुर्युगी, अर्थात सतयुग, त्रेतायुग, द्वापर युग और कलयुग को मिलाकर एक चतुर्युगी की गणना की जाती है।
शास्त्रों में यह भी उल्लेखित है:
'शिव द्रोही मम दास कहावा सो नर मोहि सपनेहु नहि पावा।'
अर्थात्: भगवान विष्णु ने अपने परम भक्त श्रीनारदजी से कहा है: जो शिव का द्रोह खुद को मेरा दास कहता है, वो मुझे सपने में भी प्राप्त नहीं कर सकता।
शिवपुराण में भी इसका उल्लेख किया गया है। वहां एक प्रसंग में जब दक्ष का शिवजी से बैर हुआ। नंदी ने शिवद्रोही ब्राह्मणों को ब्रह्मराक्षस होने का श्राप दिया था।
चिट्ठी-चिट्ठी करके महाकाल का मजाक बनाने वाले शिवद्रोहियों यदि हिंदू धर्म में आस्था रखते हो तो खुद समझ तुम्हे क्या मिलने वाला है।
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