भोपाल। मध्यप्रदेश की शिवराज सिंह सरकार के वित्तमंत्री जयंत मलैया का कहना है कि शराबबंदी नहीं की जा सकती। यह अव्यवहारिक है। उन्होंने कहा कि यदि शराबबंदी की तो आदिवासियों की भावनाएं आहत होंगी। वो नाराज हो सकते हैं। यह जवाब वित्तमंत्री ने विधानसभा में एक लिखित प्रश्न के उत्तर में दिया है। प्रश्न विधायक एवं कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष जीतू पटवारी ने पूछा था। इसमें मलैया ने बताया कि शराब के कारण मध्यप्रदेश शासन की आय 6 साल में दोगुनी हो गई है। शराबबंदी के सवाल पर लिखित जवाब में वित्तमंत्री जयंत मलैया ने एक अमेरिकी विद्वान सैम हैरिस को कोट करते हुए बताया कि 'ऐसे अपराध को पूरी तरह रोकना संभव नहीं है, जिसमें खरीदने और बेचने वाले सहमत और खुश हों। मलैया ने कहा कि देश के अन्य राज्यों और अमेरिका में भी शराब बंदी का प्रयोग सफल नहीं रहा है, इसलिए मप्र में शराब बंदी व्यवहारिक रूप से संभव नहीं है। मलैया ने शराब बंदी के कई नुकसान भी गिनाए। उन्होंने कहा कि शराब पर प्रतिबंध लगाएंगे तो मप्र में रह रहे आदिवासियों की भावनाएं आहत होंगी।
शराब बंदी नहीं करने की गिनाईं सात वजह
मप्र की सीमा से लगे महाराष्ट्र, राजस्थान, उप्र, छत्तीसगढ़ में शराब पर बैन नहीं है। शराब बंदी की स्थिति में इन राज्यों से अवैध तस्करी और जहरीली शराब की घटनाएं बढ़ेंगी।
सरकार को 8500 करोड़ रुपए का राजस्व शराब पर टैक्स से मिलता है। यह बंद हो गया तो कई कल्याणकारी योजनाएं प्रभावित होंगी।
राजस्व नुकसान की भरपाई के लिए सामान्य उपयोग की वस्तुओं पर टैक्स लगाना पड़ेगा, इससे महंगाई बढ़ेगी।
शराब बंदी लागू करने के लिए सरकारी अमला लगाना पड़ेगा। इसके खर्चे की पूर्ति के लिए कुछ चीजों की कीमतें बढ़ानी पड़ेगी।
पुलिस शराब पर रोक लगवाएगी तो उसके अन्य काम प्रभावित होंगे और कोर्ट केस बढ़ेंगे।
मप्र में रहने वाले आदिवासी विभिन्न सामाजिक और धार्मिक अवसर पर परंपरा के मुताबिक शराब का उपयोग करते हैं, शराब बैन करने से उनकी भावनाएं आहत होंगी।
इन 10 राज्यों में शराब बंदी
स्वतंत्र भारत में मिजोरम, मणिपुर, नागालैंड, गुजरात, आंध्रप्रदेश, हरियाणा, कर्नाटक, केरल, तमिलनाडू, बिहार में शराब बंदी हो चुकी है। जिसमें से मिजोरम, मणिपुर, आंध्रप्रदेश, हरियाणा में शराब से प्रतिबंध हटा दिया गया है। कर्नाटक, तमिलनाडू में देशी शराब पर प्रतिबंध है।
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