नई दिल्ली। भारत में जिस तरह चुनाव लड़ने वाला प्रत्याशी चुनाव आयोग को चुनावी खर्चे का ब्यौरा देता है ठीक उसी तरह अब नवदंपत्ति के माता पिता को भी शादी के खर्चे का हिसाब सरकारी दफ्तर में जमा कराना होगा। नहीं कराया तो उनकी शादी रजिस्टर्ड नहीं की जाएगी। सुप्रीम कोर्ट ने इस तरह का कानून बनाने के लिए पीएम नरेंद्र मोदी सरकार को आदेशित किया है। कोर्ट ने एक सुझाव देते हुए कहा कि शादी में होने वाले फालतू के खर्चों में कटौती कर उसका एक हिस्सा वधु के बैंक खाते में जमा किया जा सकता है, जिससे भविष्य में जरूरत पड़ने पर वो इसका इस्तेमाल कर सके।
गुरुवार को एक सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि शादी में हुए खर्चों का हिसाब-किताब बताना अनिवार्य बनाने पर केंद्र सरकार विचार करे और जल्द ही इस मामले में कोई नियम बनाए। कोर्ट ने एक सुझाव देते हुए कहा कि वर-वधु दोनों पक्षों को शादी पर हुए खर्चों की जानकारी विवाह अधिकारी (मैरिज ऑफिसर) को बताना अनिवार्य होना चाहिए।
कोर्ट ने इस अनिवार्यता के उद्देश्य को बताते हुए कहा कि अगर शादी में वर-वधु दोनों पक्षों की ओर से हुए खर्च का लेखा-जोखा विवाह अधिकारी के पास मौजूद रहता है तो इससे दहेज प्रताड़ना के तहत दर्ज किए गए मुकदमों में पैसे से जुड़े विवाद को सुलझाने में काफी हद तक मदद मिलेगी। कोर्ट ने सरकार से कहा है कि वो जल्द ही ऐसी व्यवस्था लाए, जिससे ये पता लगाया जा सके कि शादी में कोई व्यक्ति कितना खर्च कर रहा है।
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से इस बाबत राय मांगी है। कोर्ट ने कहा है कि सरकार इस पर विचार करे और अपने कानून अधिकारी के जरिए कोर्ट तक अपने विचारों को पहुंचाए। एडिशनल सॉलिसिटर जनरल पीएस नरसिंहा से भी कोर्ट ने इस बाबत अपनी राय अदालत के सामने रखने को कहा है।
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