नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर में हुआ कठुआ केस एक बार फिर सुलग उठा है। इस बार आरोपियों की गिरफ्तार या उसका विरोध नहीं बल्कि 8 साल की मासूम बच्ची के रेप और हत्या के मामले में मुख्य अभियुक्त के वकील असीम साहनी को एडिशनल एडवोकेट जनरल के पद पर नियुक्ति विवाद का मूल कारण है। जम्मू-कश्मीर में इन दिनों राज्यपाल शासन चल रहा है अत: इस नियुक्ति के लिए भाजपा को टारगेट किया जा रहा है। बता दें कि एडिशनल एडवोकेट जनरल बड़ा पद होता है और जम्मू-कश्मीर जैसे राज्य में महत्वपूर्ण पद होता है।
जम्मू-कश्मीर की महबूबा मुफ्ती सरकार से बीजेपी के समर्थन वापसी के बाद राज्य में राज्यपाल शासन लागू है। बीजेपी-पीडीपी गठबंधन के टूटने की वजहों में कठुआ रेप और हत्या कांड को प्रमुख माना जाता है। ऐसी स्थिति में इस केस के मुख्य आरोपी के वकील को इस तरह उच्च पद पर नियुक्ति ने सवाल खड़े कर दिए हैं। यह नियुक्ति राजनीतिक मुद्दा बन गई है।
क्या है मामला
10 जनवरी 2018 को जम्मू-कश्मीर के कठुआ के पास खानाबदोश बकरवाल समुदाय की एक 8 साल की बच्ची अपने घर के पास से गायब हो गई थी। बाद में पुलिस ने उसका शव नजदीक के जंगल से बरामद किया। जब शव का पोस्टमॉर्टम किया गया तब यह बात सामने आई कि नाबालिक लड़की के साथ रेप करने के बाद उसकी हत्या की गई। जिसके बाद राज्य सरकार ने मामले की जांच क्राइम ब्रांच को सौंपी। जिसमें 4 पुलिसकर्मियों के साथ 8 लोगों को गिरफ्तार किया गया।
बीजेपी ने किया था आरोपियों की गिरफ्तारी का विरोध
इस मामले ने राजनीतिक रंग तब ले लिया जब रेप और हत्या के आरोपियों की गिरफ्तारी के विरोध में जम्मू-कश्मीर सरकार में शामिल बीजेपी के मंत्री समेत नेताओं ने जुलूस निकाले। जिसे लेकर रेप और हत्या के इस नृशंस मामले को लेकर कश्मीर की जनता के गुस्से को देखते हुए तत्कालीन महबूबा सरकार पर दबाव बढ़ने लगा। लिहाजा जनता के गुस्से को शांत करने के लिए सरकार में मंत्री लाल सिंह को इस्तीफा देना पड़ा था बाद में इसी तनाव के चलते गठबंधन भी टूट गया।
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