नई दिल्ली। चेक बाउंस होने की स्थिति में प्राप्तकर्ता को और अधिक राहत प्रदान करने वाला निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स (संशोधन) विधेयक, 2017 सोमवार को लोकसभा में ध्वनिमत से पारित हो गया। विधेयक पर चर्चा का जवाब देते हुए वित्त राज्य मंत्री शिव प्रताप शुक्ल ने कहा कि समय-समय पर संबंधित कानून में संशोधन होता रहा है और जरूरत पड़ने पर आगे भी होगा। संशोधन किया गया है कि चेक बाउंस के मामलों में यदि न्यायालय में जज को लगता है कि यह आवश्यक है तो पीड़ित को केस दाखिल करने के बाद अग्रिम मुआवजा दिया जा सकता है।
केस फाइल होते ही आरोपी को 20 प्रतिशत रकम जमा करनी होगी
शुक्ल ने कहा कि इस संशोधन विधेयक में प्रावधान किया गया है कि चेक बाउंस होने की स्थिति में आरोपी की तरफ से पहले ही चेक पर अंकित राशि की 20 फीसदी रकम अदालत में जमा करानी होगी। अगर निचली अदालत में फैसला आरोपी के खिलाफ आता है और वह ऊपरी अदालत में अपील करता है तो उसे फिर से कुल राशि की 20 फीसदी रकम अदालत में जमा करानी होगी।
मंत्री ने उम्मीद जताई कि इस प्रावधान की वजह से चेक बाउंस के मामलों पर अंकुश लगेगा और अदालतों पर चेक बाउंस के मुकदमों का बोझ कम होगा। शुक्ल ने सदन को बताया कि मौजूदा समय में देश भर की निचली अदालतों में चेक बाउंस के करीब 16 लाख मुकदमें चल रहे हैं।
इससे पहले विधेयक पेश करते हुए मंत्री ने कहा था कि चैक प्राप्तकर्ता को राहत देने के उद्देश्य से इस विधेयक में पर्याप्त उपाय किये गये हैं। इससे चैक की विश्वसनीयता और बढ़ेगी। सदन ने ध्वनि मत से इस विधेयक को पारित कियां
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