OMG! भाजपाई देश भर में सारा दिन जिस MLA की तारीफ करते रहे, वो तो कांग्रेस का निकला | NATIONAL NEWS

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नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी में इन दिनों SHEEP WALK ज्यादा दिखाई देती है। एक नेताजी ने कुछ पोस्ट किया तो बिना पुष्टि के लिए दे दनादन COPY PASTE शुरू हो जाता है। मोबाइल की जितनी बेट्री है वो सब वाट्सअप ग्रुपों में ही खर्च कर दी जाती है। आज भी ऐसा ही कुछ हुआ। यह फोटो सारे देश में भाजपाईयों द्वारा वायरल किया जाता रहा। इस फोटो के साथ मैसेज लिखा था '  पीठ पर बोरी लादे बाढ़ पीड़ितो को सामग्री बांट रहा ये कोई मजदूर नही, बल्कि असम का युवा भाजपा विधायक हैं। कुछ सीखो...। जबकि असल में यह युवा एक कांग्रेसी विधायक है। 

डाउट क्यों हुआ

निश्चित रूप से यह प्रशंसा योग्य काम था। शाबादी तो दी ही जानी चाहिए परंतु एक छोटा सा डाउट था। दर्जनों वाट्सअप ग्रुपों में सैंकड़ों भाजपा नेताओं ने इस फोटो को भेजा लेकिन किसी ने भी अपने युवा विधायक का नाम और निर्वाचन क्षेत्र नहीं लिखा। 

तो फिर क्या किया

हां राज्य का नाम लिखा था 'असम'। तो तलाश असम से शुरू हो गई। वाट्सअप पर राजनीति करने वालों को शायद पता नहीं है कि दुनिया में इंटरनेट पर सिर्फ फेसबुक और वाट्सअप नहीं चलते। कुछ फोरम और करोड़ों बेवसाइट्स भी हैं। असम के विधायकों की भी लिस्ट आॅनलाइन मौजूद है। सबके फोटो भी सरकार की आधिकारिक बेवसाइट पर हैं। 126 सीटों की विधानसभा में एक फोटो की तलाश कौन सी मुश्किल थी।

क्या जानकारी हाथ लगी

असम के विधायकों की लिस्ट में इस व्यक्ति का फोटो भी था जो वायरल फोटो में दिखाई दे रहा था। अत: एक बात तो सुनिश्चित हो गई कि यह व्यक्ति विधायक ही है परंतु किस पार्टी का और किस निर्वाचन क्षेत्र से। यह ज्ञान फोटो के साथ ही उपलब्ध था। 

विधायक भाजपा का नहीं कांग्रेस का है

विधायक का नाम है रूपज्योति कुर्मी ये असम राज्य की मरियानी विधानसभा सीट से विधायक हैं परंतु ये भाजपा नहीं बल्कि कांग्रेस के विधायक हैं। रुपज्योति कुर्मी ने खुद बताया कि यह फोटो उनका ही है। 

फोटो भी पिछले साल का है और बाढ़ राहत का नहीं है

विधायक रूपज्योति कुर्मी ने बताया कि यह फोटो तो 2017 का है। उन्होंने कहा 'हां, ये तस्वीर तब ली गई थी जब मैं कांज़ीरंगा नेशनल पार्क के पास स्थित बोकाखाट विधानसभा क्षेत्र के एक चाय बागान में स्थित लोअर प्राइमरी स्कूल में बनाए गए राहत कैम्प में गया था। मेरे साथ खाने और राहत सामग्री से लदे 40 मिनी ट्रकों का बेड़ा था, क्योंकि मेरे दोस्त इस मुहिम में मदद कर रहे थे इसलिए सिर्फ उन्हीं से चावल के बोरों को ले जाने के लिए कहना अनुचित होता, इसलिए मैंने भी कैम्प तक ले जाने के लिए कुछ बोरे उठाए जिनमें हर एक का वजन 25 किलोग्राम था।’
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