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मध्यप्रदेश के करीब 2 लाख संविदा कर्मचारियों ने पिछले दिनों राजधानी भोपाल में जबर्दस्त प्रदर्शन किया था। लम्बे चले इस आंदोलन के बाद सरकार ने तय किया था कि संविदा कर्मचारियों को राहत दी जाएगी। सीएम शिवराज सिंह ने यह बयान भी दिया था कि 'संविदा' कर्मचारी की प्रथा ही गलत है। इसे खत्म कर दिया जाएगा। माना जा रहा था कि संविदा कर्मचारियों को उन्हीं के पद पर नियमित कर दिया जाएगा परंतु ऐसा नहीं हुआ।
29 मई को आयोजित कैबिनेट मीटिंग में प्रस्ताव पास किया गया कि संविदा कर्मचारियों को नियमित कर्मचारियों के समान अधिकार और सुविधाएं दी जाएंगी एवं जब भी नियमित कर्मचारी के लिए भर्ती का आयोजन होगा, उसमें संविदा कर्मचारियों को 20 प्रतिशत पद आरक्षित किए जाएंगे। 5 जून को सामान्य प्रशासन विभाग इस संदर्भ में निर्देश भी जारी कर दिए थे परंतु विभागों ने इस दिशा में कोई काम नही किया। ताजा भर्ती कार्यक्रम में आरक्षण का प्रावधान नहीं है।
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