भोपाल। सांची बौद्ध यूनिवर्सिटी, यह कोई आम यूनिवर्सिटी नहीं है जहां बीए, बीएससी की डिग्री मिलती हो। यह कोई विशेष यूनिवर्सिटी भी नहीं है जिसमें कोई विशेष प्रकार की पढ़ाई चल रही हो। यह तो बस फायदे के लिए स्थापित की गई यूनिवर्सिटी है। 6 साल पहले बड़ी ही धूमधाम के साथ इसे स्थापित किया गया और बस... फिर कुछ नहीं किया। सांची बौद्ध यूनिवर्सिटी के पास अपनी 100 जमीन और खाते में 100 करोड़ रुपए हैं परंतु लगभग 6 साल से यह किराए के भवन में चल रही है। यह भवन मंत्री गौरीशंकर शेजवार के बेटे का है और किराया है 7 लाख रुपए प्रतिमाह। इसमें जो कर्मचारी हैं, उसमें से ज्यादातर आरएसएस से जुड़े हुए हैं। कहते हैं वो यहां कर्मचारी ही इसलिए हैं क्योंकि आरएसएस के कार्यकर्ता हैं। क्या करते हैं.. पता नहीं, लेकिन वेतन नियमित रूप से प्राप्त करते हैं।
इस यूनिवर्सिटी की आधारशिला 6 साल पहले श्रीलंका के राष्ट्रपति महेन्द्रा राजपक्षे ने रखी थी। बताया गया था कि सांची विश्वविद्यालय की स्थापना का उद्देश्य है एशिया महाद्वीप के देशों में बसे बौद्ध धर्म के अनुयायियों को भारत से जोड़ना। भगवान बौद्ध की नगरी सांची से अच्छा स्थल क्या होगा जहां रहकर बौद्ध धर्म के अनुयायी शिक्षा ग्रहण करें। इसमें जापान, चीन, थाईलैंड, मलेशिया, वर्मा, भूटान आदि बौद्ध देशों सहित करीब 60 देशों के के विद्यार्थी पढ़ने आने वाले थे। बौद्ध देशों ने तो इस यूनिवर्सिटी को आर्थिक सहायता देने की बात भी की थी।
जब यूनिवर्सिटी की आधारशिला रखी गई थी, तब जापान, नेपाल, भूटान, श्रीलंका, वर्मा, मलेशिया, थाईलेंड, चीन आदि ने अपने-अपने अध्ययन केंद्र खोलने की इच्छा जताई थी। उस समय इनमें से कुछ देशों ने यूनिवर्सिटी निर्माण में सहयोग राशि भी दी थी। जापान कल्चर विभाग की मिस जेंसा अयामी ईटो ने 9 लाख येन का चेक मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को दिया था। श्रीलंका ने भी राशि दी थी।
लेकिन वैसा सबकुछ नहीं हुआ जैसा कि 21 सितम्बर 2012 को मंच से कहा जा रहा था। यह बस एक औपचारिकता भर बनकर रह गई है। मंत्री के बेटे और आरएसएस के कुछ कार्यकर्ताओं की नियमित आय का जरिया, जिसे कोई घोटाला भी नहीं कह सकता।
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