सागर। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र रहली में शनिवार 21 जुलाई 18 रात करीब 9 बजे ग्रामीण एक किसान को बेहोशी की हालत में लेकर आए। वो जिंदा था, लेकिन अर्धबेहोशी की स्थिति में था। यहां मौजूद ड्यूटी डॉक्टर ने किसान का इलाज शुरू करने से पहले उसकी जाति पूछी। जब इस सवाल पर ग्रामीणों ने आपत्ति दर्ज कराई तो डॉक्टर ने बड़ी ही विनम्रता के साथ इस सवाल के लिए माफी मांगी लेकिन इलाज नहीं किया। किसान को मेडीकल कॉलेज सागर के लिए रैफर कर दिया।
किसान का नाम भगवानदास कुर्मी (45) है। परिजनों के अनुसार पिछले कुछ समय से भगवानदास बैंक और साहूकार से लिए करीब 3 लाख रुपए के कर्ज से परेशान था। शनिवार की रात को वह खेत पर गए और रात करीब 9 बजे अचानक उन्होंने जहर निगल लिया। पड़ोस के खेत पर काम कर रहे लोगों को जैसे ही जानकारी मिली तो वह परिजनों के साथ उसे सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र रहली ले आए। लेकिन यहां मौजूद डॉक्टर ने इलाज शुरु करने से पहले कई बार अर्ध बेहोश किसान से उसकी जाति पूछी। इस बीच परिजनों ने टोका तो डॉक्टर ने अपने सवाल पर खेद जताया और मरीज को मेडिकल कॉलेज सागर के लिए रैफर कर दिया।
4 महीने पहले की थी बेटी की शादी, फसल भी अच्छी नहीं हुई
भगवानदास के छोटे भाई लखन कुर्मी ने बताया कि हमारे पास पैतृक जमीन के रूप में करीब डेढ़ एकड़ का रकबा है। इस साल भैया ने इस रकबे समेत बटाई पर कुछ और जमीन लेकर सोयाबीन बोया था। लेकिन फसल उम्मीद के मुताबिक नहीं आई। इस बीच उनकी छोटी बेटी का विवाह आ गया। इस सब में उनके ऊपर बैंक और साहूकारों का कर्ज बढ़ता गया।
इधर उन्होंने परिवार के बहुत कम लोगों को इस कर्ज के बारे में बताया था ताकि बाकी सब इस चिंता में परेशान नहीं हों। लेकिन शनिवार को उनका सब्र टूट गया और उन्होंने जहर निगल गया।
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