नई दिल्ली। केन्द्रीय सूचना आयोग ने व्यवस्था दी है कि निजी सूचना के आधार किसी मृतक के कानूनी वारिसों को उसके खाता विवरण से वंचित नहीं किया जा सकता। आयोग ने डाक विभाग के एक अधिकारी पर सूचना का कानून अधिकार (RTI) के तहत अधिकतम जुर्माना लगाया है। यह मामला उस व्यक्ति के संबंध में है जो अपने मृत पिता की पॉलिसियों से संबंधित जानकारी हासिल करना चाह रहा था। सूचना आयुक्त श्रीधर आचार्यलु ने व्यवस्था दी कि हिन्दू उत्तराधिकार कानून के तहत किसी मृत व्यक्ति का पुत्र उसका प्रथम श्रेणी कानूनी उत्तराधिकारी होता है तथा उसे अपने पिता की पालिसियों के बारे में जानने का पूरा अधिकार है।
उन्होंने कहा कि डाक विभाग उसे आरटीआई कानून के तहत कोई धन नहीं दे रहा है किन्तु विभाग को राशि एवं खाते के बारे में वांछित जानकारी देकर उसके दावे पर उपयुक्त सहायता करनी चाहिए। आचार्यलु ने कहा , ‘आम तौर पर किसी कर्मचारी के खाते की जानकारी उसकी निजी सूचना होती है जो आरटीआई कानून की धारा 8 (1) (जे) के तहत किसी अन्य को नहीं दी जा सकती।
किन्तु जब पत्नी, पुत्र या पुत्री, कानूनी वारिस होने की हैसियत से इस सूचना को मांगते हैं तो उन्हें निजी सूचना के आधार पर इससे वंचित नहीं किया जा सकता। वास्तव में यह कानूनी वारिस की निजी सूचना बन जाती है। ’उन्होंने कहा , ‘यह सीपीआईओ (मुख्य डाक सूचना अधिकारी) के आरटीआई विरोधी रवैये की पराकाष्ठा तथा अपील करने वाले का उत्पीड़न है।’ उन्होंने अधिकारी पर 25 हजार रूपये का अर्थदण्ड लगाया जो अधिकतम जुर्माना है।
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