
उन्होंने कहा कि डाक विभाग उसे आरटीआई कानून के तहत कोई धन नहीं दे रहा है किन्तु विभाग को राशि एवं खाते के बारे में वांछित जानकारी देकर उसके दावे पर उपयुक्त सहायता करनी चाहिए। आचार्यलु ने कहा , ‘आम तौर पर किसी कर्मचारी के खाते की जानकारी उसकी निजी सूचना होती है जो आरटीआई कानून की धारा 8 (1) (जे) के तहत किसी अन्य को नहीं दी जा सकती।
किन्तु जब पत्नी, पुत्र या पुत्री, कानूनी वारिस होने की हैसियत से इस सूचना को मांगते हैं तो उन्हें निजी सूचना के आधार पर इससे वंचित नहीं किया जा सकता। वास्तव में यह कानूनी वारिस की निजी सूचना बन जाती है। ’उन्होंने कहा , ‘यह सीपीआईओ (मुख्य डाक सूचना अधिकारी) के आरटीआई विरोधी रवैये की पराकाष्ठा तथा अपील करने वाले का उत्पीड़न है।’ उन्होंने अधिकारी पर 25 हजार रूपये का अर्थदण्ड लगाया जो अधिकतम जुर्माना है।
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