नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने बढ़ती सड़क दुर्घटनाओं पर चिंता जताते हुए शुक्रवार को दो व चार पहिया वाहनों का थर्ड पार्टी बीमा कराना अनिवार्य किए जाने की बात कही। शीर्ष न्यायालय ने कहा कि इससे दुर्घटना पीड़ितों को कुछ मुआवजा मिल पाएगा। कोर्ट ने बीमा कंपनियों तथा बीमा नियामक प्राधिकरण (इरडा) से भी कहा कि देश में हर मिनट में तीन आदमी मर रहे हैं, ऐसे में इस मामले को कामर्शियल के बजाय मानवीय नजरिये से देखना चाहिए।
कोयंबटूर के सर्जन एस. राजासीकरन की जनहित याचिका पर सुनवाई कर रहे शीर्ष न्यायालय ने ये बात तब कही, जब इस मामले में न्याय मित्र ने रोड सेफ्टी पर पूर्व जस्टिस केएस राधाकृष्णन की अध्यक्षता में बनी कमेटी की रिपोर्ट रखी और थर्ड पार्टी बीमा अनिवार्य करने की मांग की। सुप्रीम कोर्ट की तरफ से ही 22 अप्रैल 2014 को गठित राधाकृष्णन कमेटी ने रिपोर्ट में बताया था कि हर साल एक लाख से ज्यादा लोग सड़क दुर्घटना में मर रहे हैं और उन्हें कोई मुआवजा नहीं मिल पाता।
इरडा ने मांगे 8 महीने, कोर्ट ने कहा 1 सितंबर से पहले करो
सुनवाई के दौरान इरडा के वकील ने थर्ड पार्टी बीमा अनिवार्य करने पर निर्णय के लिए 8 महीने का समय मांगा। इस पर शीर्ष न्यायालय ने तीखी टिप्पणी करते हुए चार सप्ताह में निपटाने को कहा। बाद में कोर्ट ने इरडा को 1 सितंबर से पहले इस मुद्दे पर निर्णय लेने का आदेश दिया।
नवंबर में दिए थे ट्रॉमा सेंटर बनाने के आदेश
शीर्ष न्यायालय ने इस मामले में सुनवाई करते हुए पिछले साल नवंबर के दौरान सभी राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों को हर जिले में ट्रॉमा सेंटर बनाने और सड़क सुरक्षा नियमों को स्कूल पाठ्यक्रम में शामिल करने के आदेश दिए थे।
ऐसी है समिति की रिपोर्ट
- 18 करोड़ से ज्यादा वाहन दौड़ रहे भारतीय सड़कों पर
- 06 करोड़ वाहनों के पास ही है थर्ड पार्टी बीमा
- 00 रुपये मुआवजा मिलता है सड़क दुर्घटना में पीड़ित को वाहन का थर्ड पार्टी बीमा नहीं होने से
- 05 साल का थर्ड पार्टी बीमा दोपहिया वाहन की बिक्री के समय ही कर दिए जाने की है सिफारिश
- 03 साल का थर्ड पार्टी बीमा चार पहिया वाहन की बिक्री के समय किए जाने को कहा है कमेटी ने
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