उज्जैन। भोपाल में पदस्थ वाणिज्यिक कर विभाग के सहायक आयुक्त ओमप्रकाश वर्मा और वन विभाग के पूर्व रेंजर राजाराम पाल को कोर्ट ने भ्रष्टाचार के मामले में पांच-पांच साल की सजा सुनाई है। इन्होंने बांस, बल्ली का व्यवसाय करने वाले को जांच रिपोर्ट के खिलाफ जाकर स्थाई पंजीयन जारी किया था। एसपी ईओडब्ल्यू राजेश रघुवंशी ने बताया मामला 15 साल पुराना है। साल 2003 में भोपाल के मुकेश ठाकुर ने इंदौर ईओडब्ल्यू में शिकायत की थी कि टिंबर व्यवसायी दिनेश पाहवा अपने रिश्तेदारों के नाम पर वाणिज्यिक कर विभाग और वन विभाग के अफसरों से सांठगांठ कर लाखों रुपए की टैक्स चोरी कर रहे हैं।
जांच में पाया कि फर्म अन्नपूर्णा इंटरप्राइजेस के नाम से जयसिंहपुरा उज्जैन में धनजी भाई पटेल और योगेश शर्मा ने लकड़ी का व्यवसाय शुरू करने के लिए वाणिज्यिक कर अधिकारी को पंजीयन के लिए आवेदन दिया है। इस पर व्यवसाय का स्थल परीक्षण के लिए वाणिज्यिक कर निरीक्षक प्रदीप पाठक को आदेश दिए।
पाठक ने 25 मार्च 2003 को जांच रिपोर्ट प्रस्तुत की, जिसमें खामियां बताते हुए अचल संपत्ति की गारंटी के साथ पंजीयन जारी करने की अनुशंसा की। सहायक आयुक्त ओमप्रकाश घीसालाल वर्मा निवासी राजमोहल्ला महू ने रिपोर्ट को अनदेखा कर पद का दुरुपयोग करते हुए स्थाई पंजीयन जारी कर दिया।
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