भोपाल। माध्यमिक शिक्षा मंडल बोर्ड भोपाल के नीति नियंताओं की समझ पर सवाल खड़ा हुआ है। माशिमं ने परीक्षा के नामांकन हेतु 12 अगस्त लास्ट डेट तय की परंतु असल में यह 10 अगस्त थी, क्योंकि 10 और 12 अगस्त अवकाश के दिन थे। इधर पूरक परीक्षाओं का रिजल्ट ही 09 अगस्त को आया। मात्र 1 दिन में पूरक परीक्षा के दस्तावेज हासिल करना असंभव है। अत: हजारों छात्र नामांकन फार्म नहीं भर पाए, वो परेशान हो रहे हैं। शिक्षामंत्री विजय शाह भी ऐसे मामलों पर ध्यान नहीं देते। हालात यह हैं कि आमजन उनसे शिकायत तक नहीं करते। स्कूल शिक्षा की ज्यादातर शिकायतें मीडिया के पास पहुंचतीं हैं।
शहडोल से vijay vishwakarma ने भोपाल समाचार डॉट कॉम को भेजे ईमेल में अपना दर्द साझा किया है लिखा है:
मध्यप्रदेश में एक तरफ सब पढ़े सब बढ़े का नारा दिया जाता है वहीं दूसरी तरफ विदयार्थियों की पढ़ाई में रोड़ा अटकाने का कार्य भी मध्यप्रदेश में हो रहा है । माध्यमिक शिक्षा मण्डल द्वारा बोर्ड परीक्षाओं के लिए नामांकन की तिथि घोषित तो की जाती है मगर अन्य बोर्ड से सामंजस्य नही बिठाया जाता नतीजन अन्य बोर्ड से स्टेट बोर्ड की परीक्षाओं में शामिल होने वाले विदयार्थियों के लिए मुसीबत खड़ी हो जाती है। माध्यमिक शिक्षा मण्डल द्वारा नामांकन की आखिरी तारीख 12 अगस्त तय की गई थी जबकि सीबीएसई बोर्ड की पूरक परीक्षा का परिणाम 9 अगस्त को घोषित हुआ जाहिर है तीन दिन में रिजल्ट, प्रतिहस्ताक्षरित टीसी एवं माइग्रेशन प्राप्त कर माध्यमिक शिक्षा मण्डल में नामांकन करा पाना व्यवहारिक नजर नही आता फिर भी माध्यमिक शिक्षा मण्डल द्वारा जाने क्यों जिद दिखाते हुए सम्बन्धित विदयार्थियों को राहत प्रदान नही की जा रही है ।
11 एवं 12 अगस्त को था अवकाश
माध्यमिक शिक्षा मण्डल ने नामांकन की आखिरी तारीख 12 अगस्त तो घोषित कर दी गई मगर यह ध्यान नही दिया गया कि 12 अगस्त को रविवार था वहीं 11 अगस्त को द्वितीय शनिवार के कारण अवकाश था। जाहिर है उक्त दोनों दिन विदयार्थियों को आवश्यक दस्तावेज हासिल नही हो सके जिससे एमपी आॅनलाईन पोर्टल पर दस्तावेजों को अपलोड नही किया जा सका और कई विदयार्थी नामांकन से वंचित रह गये। अब माध्यमिक शिक्षा मण्डल द्वारा नामांकन का अवसर न प्रदान करने की वजह से विदयार्थियों के भविष्य में प्रश्न चिन्ह खड़ा हो गया है।
जाहिर है बच्चों की आगे की पढ़ाई नियमित नही हो पायेगी और देश के लिए कुछ करने का जज्बा प्रशासनिक व्यवस्था की भेंट चढ़ जायेगा। हैरानी की बात है माध्यमिक शिक्षा मण्डल 12 अगस्त की तिथि में ही अड़ा है जबकि परीक्षाएं अगले वर्ष मार्च महीने में प्रारंभ होंगी और तैयारियों के लिए पर्याप्त समय है फिर भी मण्डल का तानाशाही रवैया लोगों की समझ से परे है जाहिर है मध्यप्रदेश में सब पढ़े सब बढ़े केवल कोरा नारा बस ही है हकीकत में उक्त अवधारणा की समझ न तो माध्यमिक शिक्षा मण्डल को ही है और न ही जनप्रतिनिध्यिों को ही।
इतनी सी बात तो अनपढ़ बस वाले भी जानते हैं
आपने अक्सर देखा होगा। भोपाल से सागर या होशंगाबाद जाने वाली प्राइवेट आॅपरेटर की बस, इंदौर से भोपाल आने वाली सरकारी कंपनी की बस से अपना टाइम मिलाती है। जब सरकारी बस इंदौर से भोपाल आ जाती है, उसके बाद प्राइवेट बस भोपाल से सागर या होशंगाबाद के लिए रवाना होती है। यदि इंदौर-भोपाल बस लेट होती है तो भोपाल-सागर और भोपाल-होशंगाबाद बसें रुककर उसका इंतजार करतीं हैं। यह जरा सी बात माशिमं के उच्च शिक्षित अधिकारी नहीं समझते। उन्होंने नामांकन की तारीख तय करने से पहले दूसरे बोर्ड के परीक्षा परिणामों की तारीख तक नहीं देखी।
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