भोपाल। स्वतंत्रता दिवस समारोह के बाद जैसा रात आई, भगवान कभी ना दिखाए। ढलती शाम और सुल्तानगढ़ वॉटरफॉल में फंसी करीब 50 जिंदगियां। शाम ढलती गई और उसके साथ उम्मीदें भीं अंधेरे में खोती चली जा रहीं थीं। लोग सरकार से उम्मीद कर रहे थे। रेस्क्यू बंद हुआ तो नाराज हुए और विपक्ष की तरफ देखा। चाहते थे सरकार पर दवाब बनाओ, बाढ़ में फंसे हुए 40 लोगों को बचाने के लिए कुछ तो करो, कांग्रेस के दिग्गजों में सिर्फ दिग्वजय सिंह एक्टिव थे। सोशल मीडिया पर उलाहना दी गई तो ज्योतिरादित्य सिंधिया भी सक्रिय हुए परंतु कमलनाथ लापता थे। रात 10:26 पर भोपाल समाचार ने छापा (कमलनाथ सो रहे हैं अब सुबह ही उठेंगे), रात 12:50 पर उन्होंने एक औपचारिक ट्वीट किया और....।
रात 9 बजे तक मप्र का लगभग हर सक्रिय नेता और मीडियाकर्मी यह जान चुका था कि सुल्तानगढ़ वॉटरफॉल में अचानक बाढ़ आ गई है। इसमें करीब 17 लोग बह गए जबकि 40 फंसे हुए हैं। यह भी सबको पता था कि सेना के रेस्क्यू आॅपरेशन में 6 लोगों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया है परंतु कमलनाथ ने ऐसी कोई जानकारी नहीं जुटाई। बात बात पर सीएम शिवराज सिंह से सवाल करने वाले कमलनाथ ने इस बार कोई सवाल नहीं किया। बस इतना लिखा: शिवपुरी ग्वालियर के बीच मोहना सुल्तानगढ़ वॉटरफाल पर हुआ हादसा दुखद...अभी भी कई पर्यटकों के फँसे होने की ख़बर चिंतित करने वाली...सरकार फँसे लोगों को बचाने के हरसंभव प्रयास करे...।
शिवपुरी ग्वालियर के बीच मोहना सुल्तानगढ़ वॉटरफाल पर हुआ हादसा दुखद...— Office Of Kamal Nath (@OfficeOfKNath) August 15, 2018
अभी भी कई पर्यटकों के फँसे होने की ख़बर चिंतित करने वाली....
सरकार फँसे लोगों को बचाने के हरसंभव प्रयास करे...
पूत के पांव...
मप्र के ग्रामीण इलाकों में एक कहावत है, पूत के पांव पालने में ही दिख जाते हैं। क्या यह घटनाक्रम कमलनाथ के मामले में पूत के पांव जैसा ही है। कमलनाथ खुद को मप्र का भावी मुख्यमंत्री मानते हैं। उनकी टीम ने सोशल मीडिया पर बड़े ही लुभावने पोस्टर डिजाइन किए हैं, बताया गया है, जताया गया है कि कमलनाथ, वर्तमान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह से काफी बेहतर हैं परंतु 16 अगस्त की सुबह यह सवाल कर रही है कि क्या बेहतर है। 15-16 अगस्त की दरम्यानी रात सुल्तानगढ़ की बाढ़ में फंसे लोगों को बचाने के लिए जब सीएम शिवराज सिंह जाग रहे थे। केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और मप्र की कैबिनेट मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया जंगल में मौजूद थे। दिग्विजय सिंह लगातार संपर्क में थे। ज्योतिरादित्य सिंधिया अधिकारियों से बातचीत कर रहे थे, कमलनाथ लापता थे। वो कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष हैं, मुख्यमंत्री पद के दावेदार हैं। यदि उन्हे यह भी नहीं पता कि ऐसे हालात में उन्हे क्या करना चाहिए तो जनता को समझना होगा कि कहीं शिवराज सिंह से नाराजगी में हम कोई ऐसा विकल्प तो नहीं चुन रहे जो शिवराज सिंह से भी ज्यादा दुख देगा।
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