भोपाल। भाजपा के दिग्गजों को समझ आ गया है कि मध्यप्रदेश में अब शिवराज सिंह का जादू खत्म हो चुका है। जन आशीर्वाद यात्रा में आत्ममुग्धता के अवसर तो दिखाई दे रहे हैं परंतु इस यात्रा से जनता प्रभावित होकर वोट करेगी, इसकी संभावना ना के बराबर है। अत: आरएसएस ने अब मध्यप्रदेश की कमान अपने हाथ में लेने का फैसला कर लिया है। हर सीट पर करीब 200 स्वयं सेवक चुनाव की जमीन पर काम करने सक्रिय किए जाएंगे। इस बार आरएसएस अपने सभी अनुषांगिक संगठनों को पूरी तरह से चुनाव में झोंक देने की तैयारी कर रहा है।
जिला पदाधिकारियों की मदद से हर सीट पर ऐसे 3-3 लोगों के नाम मांगे जा रहे हैं, जो संघ के 58 अनुषांगिक संगठनों से जुड़े हैं। इसमें भाजपा भी शामिल है। इससे हर सीट पर करीब 150 से 200 लोगों की टीम तैयार होगी जो देश और प्रदेश से जुड़े अहम मुद्दों को लेकर जनता के बीच जाकर उन्हें विचारधारा बताएगी। अगस्त में यह सूची फाइनल होगी। इसके बाद सितंबर से विधानसभा चुनाव और फिर उसके बाद लोकसभा चुनाव तक यह टीम फील्ड में काम करेगी।
सीएम हाउस में शुक्रवार को हुई संघ पदाधिकारियों की बैठक को इसी से जोड़कर देखा जा रहा है। लंबे समय बाद सीएम हाउस में प्रांत व क्षेत्र प्रचारक समेत अखिल भारतीय सह प्रचारक प्रमुख अरुण जैन पहुंचे। इस बैठक में भाजपा राष्ट्रीय संगठन महामंत्री रामलाल भी थे। पार्टी के सूत्रों का कहना है कि रामलाल की मौजूदगी से देश व राज्य के तमाम मुद्दों पर बात हुई। आने वाले दिनों में संघ की यह टीम संगोष्ठियां, संवाद, परिचर्चा, घर पहुंचकर व पैम्पलेट जारी करके जन जागरण अभियान को आगे बढ़ाएगी। यहां बता दें कि पिछले विधानसभा और लोकसभा चुनावों से पहले भी संघ तेजी से सक्रिय हुआ था। इस बार भी यही तैयारी है।
इधर, एजेंडे को लेकर 16 को भोपाल में बैठक
भाजपा के घोषणा-पत्र के पांच साल के मुद्दे तय करने के लिए भोपाल की बैठक 16 अगस्त को होने जा रही है। इसमें व्यापारिक संगठनों के साथ सामाजिक संस्थाओं और प्रमुख लोगों को बुलाया गया है। इसके अगले दिन 17 जून को उज्जैन में बैठक होगी। रामलाल के रिव्यू करने के बाद एजेंडा बनाने के लिए बैठक में तेजी आ गई है। आगामी 20 अगस्त तक पूरे प्रदेश के जिलों में बैठकों का काम पूरा होगा। बताया जा रहा है कि भाजपा चुनाव की आचार संहिता लागू होने के बाद एजेंडा जारी करेगी। तब तक अफसरों द्वारा बनाए जा रहे समृद्ध मप्र का ड्राफ्ट भी सामने आ जाएगा।
भाजपा कार्यकर्ताओं की निष्क्रीयता का तोड़
संघ की सक्रियता के पीछे बड़ा कारण यह बताया जा रहा है कि वर्तमान में भाजपा में जो लोग हैं, वे संघ की विचारधारा से पूरी तरह परिचित नहीं हैं और चुनाव के नजदीक आने के बाद भी निष्क्रियता दिखा रहे हैं। इसकी जानकारी संघ के साथ पार्टी के शीर्ष नेतृत्व तक भी पहुंची। इसीलिए स्वयंसेवकों को मुद्दों पर चर्चा की जिम्मेदारी दी जाएगी। अनुषांगिक संगठनों में भाजपा, विहिप, बजरंगदल, एबीवीपी के साथ सेवा भारती, ज्ञान भारती, मजदूर संघ, वनवासी परिषद और भारतीय किसान संघ समेत अन्य संगठन शामिल हैं।
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