भोपाल। 15 अगस्त की शाम 5 बजे से शुरू हुआ सुल्तानगढ़ वॉटरफॉल मामला लगातार 12 घंटे बाद 16 अगस्त की सुबह सुखद अंत के साथ समाप्त हुआ। 17 लोग बाढ़ में बह गए थे परंतु चिंता की बात यह थी कि 40 लोग बाढ़ में फंसे हुए थे। सवाल था कि क्या उन्हे जिंदा बचाया जा सकेगा। अब जबकि उन्हे जिंदा बाहर निकाल लिया गया है तो श्रेय की राजनीति शुरू हो गई। चुनावी फायदे उठाने की कोशिश की जा रही है। जबकि असलियत यह है कि प्रशासन, पुलिस या सुरक्षाबलों ने तो सबको भगवान भरोसे छोड़ दिया था। 3 साधारण ग्रामीणों ने सबको बचाया।
शाम करीब 3:30 बजे: खबर आई कि सुल्तानगढ़ वॉटर फॉल में बाढ़ आ गई है। 2 दर्जन से ज्यादा लोग फंसे हुए हैं।
शाम 5 बजे: स्थानीय सरपंच और ग्रामीणों के बाद सबसे पहले मीडिया पहुंची और बाढ़ में फंसे लोगों के फोटो लिए। गिनती करने पर समझ आया कि ये 24 नहीं करीब 40 हैं।
शाम 5:15 बजे। बाढ़ में फंसे लोगों ने मोबाइल से अपने परिजनों को बताया कि करीब 12 लोग बाढ़ में बह गए हैं। इसी बीच एक वीडियो सामने आया जिसमें करीब 17 लोग बहते हुए दिखाई दिए।
सबसे पहले शिवपुरी एसपी राजेश हिंगणकर मौके पर पहुंचे। शिवपुरी कलेक्टर शिल्पी गुप्ता नहीं आईं थीं।
भोपाल समाचार डॉट कॉम में न्यूज ब्रेक होने के बाद पूरे देश भर की मीडिया ने इसे कवर करना शुरू कर दिया और मौके पर भीड़ बढ़ने लगी।
पुलिस ने रस्सी के सहारे बाढ़ में फंसे लोगों को निकालने की कोशिश की परंतु बिफल रहे। एक व्यक्ति मरते मरते बचा और रेस्क्यू बंद कर दिया गया।
शिवपुरी कलेक्टर शिल्पी गुप्ता, ग्वालियर एसपी नवनीत भसीन फिर कमिश्नर शर्मा, आईजी अंशुमान सिंह यादव भी मौके पर पहुंचे। तय किया गया कि सेना की मदद ली जाए।
शाम ढलती जा रही थी। केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर मौके पर पहुंचे। सेना का हेलीकॉप्टर आया और 6 लोगों को सुरक्षित निकालकर ले गया।
इसके बाद विधायक यशोधरा राजे सिंधिया मौके पर आईं लेकिन सेना का हेलीकॉप्टर वापस नहीं आया। रेस्क्यू बंद कर दिया गया।
यहां नोट करने वाली बात है कि रात करीब 10 बजे मौके पर मौजूद नेताओं, प्रशासनिक अधिकारियों और सुरक्षा अधिकारियों रेस्क्यू पूरी तरह से बंद कर दिया था। वो सुबह होने का इंतजार कर रहे थे जबकि 40 लोग बाढ़ में फंसे हुए थे। सारे के सारे लोग सुबह होने का इंतजार कर रहे थे। तभी मोहना के 3 युवक निजाम शाह, कल्ला बाथम और रामसेवक प्रजापति आए, प्रशासन के पास मौजूद कुछ उपकरण साथ लिए और फंसे हुए लोगों को बचाने के लिए रात करीब 3 बजे बाढ़ के तेज बहते पानी में कूद गए। वो सफलतापूर्वक उस चट्टान तक पहुंचे जहां लोग फंसे हुए थे। एक एक करके 40 लोगों को बाहर निकाल लाए।
पुलिस, प्रशासन, नेता, मंत्री सब केवल किनारे खड़े हुए थे। किसी के प्रयासों से कुछ नहीं हुआ। केवल ये 3 हैं सुल्तानगढ़ मामले के हीरो।
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