नई दिल्ली। भारत सरकार के विधि आयोग ने देशद्रोह पर भी अपनी राय जाहिर की है। आयोग का मानना है कि देश की आलोचना या गाली देने या फिर इसके एक खास पहलू को देशद्रोह नहीं माना जा सकता। यह आरोप केवल तभी थोपा जा सकता है जब सरकार को हिंसा और गैरकानूनी तरीकों से उखाड़ फेंकने का इरादा हो। यह टिप्पणी विधि आयोग ने इस मुद्दे पर एक परामर्श पत्र में की। राजद्रोह की आईपीसी की धारा 124 ए के पुनरीक्षण पर आयोग ने कहा कि आईपीसी में इसे शामिल करने वाला ब्रिटेन इस कानून को दस साल पहले ही खत्म कर चुका है। ऐसे में इस पर विचार किया जाना चाहिए।
मुलजिम दोषमुक्त हुआ तो उसे मुआवजा भी दिया जाना चाहिए
विधि आयोग ने अपनी ताजा रिपोर्ट में उन लोगों के लिए मुआवजे की सिफारिश की है, जिनको पुलिस या जांच एजेंसी मनमाने तरीके से फंसाकर वर्षों जेल में सड़ा देती है। सालों बाद अदालत गवाहों के बयानात और सबूतों की रोशनी में इस नतीजे पर पहुंचती है कि मुलजिम पर जुर्म साबित नहीं हो पाया। अदालत मुलजिम को बरी कर देती है। इसका मतलब ये कि मुलजिम अपनी दुनिया में लौट जाए लेकिन दरअसल अपनी दुनिया में लौटने के बाद भी उसकी दुनिया लुट जाती है। शारीरिक, मानसिक प्रताड़ना, इज्जत का कबाड़ा, पीछे से परिवार का दुर्दशा, संपत्ति का नुकसान जैसी चीजें उसे दुनिया में सिर उठाकर जीने नहीं देती। ऐसे में वो चाहकर भी अपनी पिछले जीवन, पिछली दुनिया में नहीं लौट सकता। विधि आयोग का कहना है कि ये सिर्फ कहने की बातें हैं। कोई भी गुजरे हुए दिन, इज्जत और मानसिक शांति नहीं लौटा सकता। हां, समुचित मुआवजा देकर उसके संताप को जरूर कम किया जा सकता है। आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक अब तक तो भारतीय न्यायिक प्रक्रिया में मुलजिम को रिहा कर देने की तजवीज थी लेकिन हाल ही में दिल्ली हाईकोर्ट ने ये कानूनी और संवैधानिक अधिकारों का सवाल उठाया था।
एक साथ चुनाव पर संविधान में संशोधन करें
देश में लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराने को लेकर विधि आयोग ने सरकार को अपनी मसौदा रिपोर्ट में एक साथ कराने के प्रस्ताव का समर्थन करते हुए संविधान में संशोधन करने की सलाह दी है। आयोग ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि आधे राज्यों में एक साथ चुनाव कराने लिए संवैधानिक संशोधन जरूरी नहीं है। 12 राज्यों और एक केंद्र शाषित प्रदेश का चुनाव 2019 के आम चुनावों के साथ किए जा सकते हैं। वहीं 2021 के अंत तक 16 राज्यों और पुडुचेरी के चुनाव आयोजित किए जा सकते हैं। जिसके परिणाम स्वरूप भविष्य में पांच साल की अवधि में केवल दो बार चुनाव होगा।
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