जबलपुर। अध्यापक अन्तर्निकाय संविलियन नीति दिनाँक 10/07/2017 के अनुपालन में संविलियन/स्थानान्तरण प्रक्रिया पूर्ण होने के पश्चात अध्यापकों को अपनी संस्था से कार्यमुक्त किया जाना था। उपरोक्त तारतम्य में जिला पंचायत, मुख्य कार्य पालन अधिकारी द्वारा पदांकन आदेश भी जारी किए गए थे। स्कूल शिक्षा के आधीन कार्यरत शिक्षक कार्यमुक्त भी किए गए थे। परंतु आयुक्त, ट्राइबल द्वारा शिक्षकों की कथित कमी के कारण आदेश दिनाँक 12/04/17 जारी कर ट्राइबल में कार्यरत अध्यापकों की संस्था से कार्यमुक्ति पर रोक लगा दी गई थी। तत्पश्चात, आयुक्त, लोकशिक्षण भोपाल ने भी दिनांक 16/04/18 को इसी प्रकार का आदेश जारी किया।
आदेश दिनाँक 12/04/18 एवम 16/0/18 को श्रीमती सीता राजपूत, श्रीमती पदमा सेठ, श्रीमती डॉ आभा श्रीवास्तव, मनोज लक्षकार, मुकेश कुमार बोरिकर, अनूपपुर, सीधी, झाबुआ, बुराहनपुर, में क्रमशः कार्यरत अध्यापकों ने मध्यप्रदेश शासन के विरुद्ध माननीय हाई कोर्ट, जबलपुर के समक्ष रिट याचिका दायर की थी।
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता श्री अमित चतुर्वेदी द्वारा बताया गया है कि माननीय हाई कोर्ट के समक्ष सुनवाई के दौरान निम्न बिंदु थे।
1) शासन द्वारा अन्तर्निकाय संविलियन नीति दिनाँक 10/07/2018 माननीय राज्यपाल के नाम से जारी की गई है जो कि, अभी भी प्रभावशील है।
2) आदेश दिनाँक 12/04/2018, 16/04/2018, संविलियन/ट्रांसफर की मूल नीति दिनाँक 10/07/2017 को अधिक्रमित करते हैं। अधीनस्थ अधिकारी को विभाग द्वारा जारी आदेश का अतिक्रमण करने का अधिकार विधि की दृष्टि में नही है। गहन अनुवीक्षण अनापत्ति के पश्चात, केबिनेट एवम मंत्रालय द्वारा स्वीकृत नीति के प्रावधानों के अनुसार, रिक्त पदों के विरूद्ध, संविलियन आदेश जारी किये गए थे।
3) स्कूल शिक्षा से ट्राइबल में 725 अध्यापक, ट्राइबल से स्कूल शिक्षा में 435, एवम ट्राइबल से ट्राइबल में 290 अध्यापक जाना था।
उपरोक्त आंकड़ों (सूचना के अधिकार) से प्राप्त के आधार पर माननीय हाई कोर्ट, जबलपुर ने मध्यप्रदेश सरकार को नोटिस जारी करते हुऐ, आदेश दिनाँक 12/04/18, 16/04/18 को स्टे कर दिया है। उक्त आदेश के पश्चात, व्यक्तिगत याचिकाकर्ता कार्यमुक्ति के पात्र होंगे।
4) सुनवाई के दौरान शासकीय अधिवक्ता से प्रश्न पूंछने पर, जानकारी दी गई कि दो विभागों की टसल के कारण कार्यमुक्ति में कठिनाई आ रही है। माननीय न्यायमूर्ति द्वारा, नाराजगी जाहिर करते हुए, प्रधान सचिव को शीघ्र से शीघ्र , कोर्ट के समक्ष सरकारी अधिवक्ता द्वारा उत्तर देने हेतु निर्देशित किया गया है।
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