भोपाल। मध्यप्रदेश में भाजपा चौथी बार जीत के लिए अब परंपराएं भी तोड़ने को तैयार है। इसका सीधा फायदा उन पदाधिकारियों को मिलेगा जो चुनाव लड़ना चाहते हैं। अब संगठन के पदाधिकारियों विशेष रूप से जिलाध्यक्षों और निगम-मंडलों व आयोगों के अध्यक्ष-उपाध्यक्षों को चुनाव में प्रत्याशी नहीं बनाया जाता था परंतु अब ऐसा हो सकता है। जिलाध्यक्षों सहित सभी पदाधिकारियों को टिकट मिल सकते हैं। बस उनमें जीतने का दम होना चाहिए।
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष व सांसद राकेश सिंह ने संकेत दिए हैं कि जरूरी हुआ तो विशेष परिस्थिति मानते हुए संगठन विचार कर सकता है। उन्होंने यह भी साफ कर दिया है कि आमतौर पर पार्टी के भीतर जिलाध्यक्षों को टिकट नहीं दिए जाने की परंपरा रही है। इसके पीछे प्रमुख वजह यह है कि जिलाध्यक्ष पर पूरे जिले की विधानसभा सीटों का ध्यान रखना पड़ता है, लेकिन जहां कोई जिताऊ प्रत्याशी नहीं है और जिलाध्यक्ष या कोई पद पर बैठा व्यक्ति जीत सकता है तो विशेष रूप से इस पर चुनाव समिति विचार करेगी।
किस किस को हुआ सीधा फायदा
भोपाल के शहर जिलाध्यक्ष व विधायक सुरेंद्रनाथ सिंह,
इंदौर की महापौर व विधायक मालिनी गौड़
सभी निगम-मंडलों के अध्यक्ष व उपाध्यक्ष
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