भोपाल। मप्र के बचे हुए जिलों को खुले में शौच से मुक्त (ओडीएफ) करने के लिए अब राज्य सरकार ने सख्त पहल शुरू कर दी है। पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के अपर मुख्य सचिव व विकास आयुक्त इकबाल सिंह बैंस ने जिला पंचायतों के मुख्य कार्यपालन अधिकारियों (सीईओ) को स्पष्ट कर दिया है कि वे अपने क्षेत्राधिकार के किसी भी जनपद सीईओ को बिना मेरी (विकास आयुक्त) अनुमति के भोपाल भ्रमण पर आने न दें।
प्रदेश के संपूर्ण ग्रामीण क्षेत्र को 2 अक्टूबर तक ओडीएफ करने और प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) के लक्ष्य को पूरा करना है। अपर मुख्य सचिव बैंस के बुधवार को जारी इस आदेश के बाद हलचल मच गई है, क्योंकि इस फैसले को 30 नवंबर तक के लिए प्रभावशील रखने का निर्देश है। गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की घोषणा के बाद लक्ष्य पूरा करने के लिए आला अफसर तक जुट गए हैं। मुख्यमंत्री ने पूर्व में हुए एक बैठक में साफ कर दिया है कि गांधी जयंती तक मप्र ओडीएफ हो जाए। इस दिशा में प्रयास करें।
इसी बैठक में विभाग के अधिकारियों की ओर से लक्ष्य के पूरा करने में असमंजस भी व्यक्त किया गया था, लेकिन इसके बाद ओडीएफ के काम में तेजी आ गई। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि तीन दिन पहले राजगढ़ जिला पंचायत के सीईओ ने एक बैठक में गधे पर तख्ती लटका दी थी, जिसमें लिखा था- ‘यदि खुले में शौच करने गए तो मेरी तरह होंगे।’
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