संसदीय इतिहास का यह पहला मौका है जब प्रधानमंत्री की टिप्पणी को सदन की कार्यवाही से विलोपित किया गया हो। राज्यसभा के सभापति वेंकैया नायडू ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा दिए गए भाषण में से एक हिस्से काे हटा दिया है, जिसमें उप सभापति चयन में चुनाव में एक नाम के दो व्यक्ति होने के संयोग की बात कही गई थी। दरअसल, राज्यसभा उपसभापति के चुनाव के बाद एनडीए उम्मीदवार हरिवंश नारायण सिंह को जीत की बधाई देते हुए प्रधानमंत्री ने सदन में उनकी तारीफ की और इस दौरान वे कुछ ऐसा भी कह गए जो सदन में उपस्थित कुछ सदस्यों को ठीक नहीं लगा। कांग्रेस ने इस पर आपत्ति जताई थी। इसके बाद मोदी के भाषण में से इस हिस्से को अपमानजनक मानते हुए कार्यवाही से हटा दिया है।
पीएम मोदी उपसभापति के चुनाव के दौरान राज्यसभा में मौजूद थे और उन्होंने एक संक्षिप्त वक्तव्य भी दिया था। सदन में राष्ट्रीय जनता दल के सांसद मनोज झा ने मोदी की टिप्पणी पर ऐतराज किया था और सभापति से इसे कार्यवाही से हटाने की मांग की थी। उन्होंने इस टिप्पणी के खिलाफ पॉइंट ऑफ ऑर्डर भी उठाया था। उन्होंने दावा किया था कि स्वतंत्र भारत के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है कि किसी प्रधानमंत्री की टिप्पणी को कार्यवाही से हटाना पड़ा हो। उन्होंने सभापति के इस फैसले पर खुशी जाहिर की है। इधर राज्यसभा के सचिवालय ने अधिकृत रूप जानकारी दी कि प्रधानमंत्री की टिप्पणी के उस हिस्से को हटा दिया गया है। मनोज झा ने कहा था कि यह टिप्पणी आपत्तिजनक और गलत मंशा से की गई थी। सभापति की ओर से उन्हें इस पर विचार करने का आश्वासन मिला था। बाद में सभापति के निर्देशानुसार प्रधानमंत्री के वक्तव्य के इस हिस्से को हटा दिया गया।
प्रधान मंत्री ने सदन में कहा था कि बलिया से जेपी के गांव सिताब दियारा से आने वाले हरिवंश के जीवन को 9 अगस्त के दिन अगस्त क्रांति से जोड़ते हुए कहा कि आजादी की लड़ाई में बलिया का नाम अग्रिम पंक्ति में रहा है। मंगल पांडे, चित्तू पांडे, चंद्रशेखर के बाद अब हरिवंश भी इस पंक्ति में शामिल हो गए हैं। हरिवंश के पत्रकारीय जीवन का उल्लेख करते हुए पीएम ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर की सरकार में महत्वपूर्ण पद पर रहने के चलते उन्हें हर खबर पहले पता होती थी। लेकिन उन्होंने अपने अखबार को चर्चित बनाने के लिए कभी इसका लाभ नहीं लिया।
गलती भावावेश में होना मानवीय स्वभाव है। उच्च पदों पर आसीन लोगों से अमूमन इस प्रकार की गलती अपेक्षा कोई नहीं करता। संसद के अन्य माननीय सांसदों को इस घटना से सबक लेना चाहिए कि संसदीय माहौल में ऐसी गलती से बचें। देश की राज्यसभा ने प्रधानमन्त्री की भावावेश में की गई टिप्पणी को विलोपित कर संदेश दिया है कि “आसंदी सब देखती समझती है।”
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श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।