रोबोट नहीं, रोजगार दीजिये | EDITORIAL by Rakesh Dubey

Bhopal Samachar
देश में हर रोज कहीं न कहीं से ए टी एम तोड़ने जैसी वारदात की खबर आती है। जाँच में  अपराधी पकड़ में आते हैं तो कारण बेरोजगारी होती है। भारत में उच्च शिक्षा [स्नातकोत्तर ] पास कर लेने के बाद युवाओं के सामने सभी दरवाजे बंद दिख रहे हैं। कम्पीटीशन की परीक्षाओं में प्रतियोगियों की इतनी अधिक संख्या होती है कि उसमें से कुछ ही आगे बढ़ पाते हैं। सरकारी नौकरियां इतनी संकुचित होती जा रही हैं वहां भी प्रवेश मिलना कठिन हो गया है। प्राइवेट सेक्टर में भी वर्तमान में रोजगार कम ही बन रहे हैं। उद्योग करना भी कठिन हो गया है क्योंकि बाजार में पैसा ही नहीं है। वापस गांव भी जाना असम्भव हो जाता है क्योंकि कृषि में कठिन श्रम करने की आदत अब छूट चुकी है। ऐसी परिस्थिति में पढ़े-लिखे युवा अपराध की दिशा पकड़ते हैं  और लूट ,एटीएम को तोड़कर नकदी चोरी करना जैसे काम को अंजाम दे रहे हैं।

कारणों के विश्लेष्ण से पता चलता  नई तकनीक के आने से यह सब हुआ है। अब कारखानों में भी श्रमिक को रोजगार नहीं मिलता। कच्चे माल को मशीन में डालना, मशीन में उसका माल बनाना, उसे मशीन से निकालकर पैकिंग करना और स्टोर में डालना सब रोबोटों द्वारा किया जा रहा है। रोजगार हनन का यह क्रम अब सेवाओं में भी पैठ बनाने लगा है। आज ऐसे कंप्यूटर सॉफ्टवेयर हैं जो कि रिसर्च अथवा ट्रांसलेशन कर सकते हैं। यदि आपको किसी कोर्ट में कोई वाद डालना है तो आप सॉफ्टवेयर में अपनी जरूरतों को एंटर कर सकते हैं। उसके बाद सॉफ्टवेयर रिसर्च करके आपको बतायेगा कि सुप्रीमकोर्ट इत्यादि के कौन से निर्णय आपके लिए लाभप्रद हैं। वकीलों का रिसर्च करने का रोजगार भी खत्म हो रहा है।मैन्यूफैक्चरिंग, सेवा और कृषि, सभी जगह रोजगार का संकुचन हो रहा है। जिसके कारण आज के युवा बेरोजगार हो रहे हैं।

अभी भी कुछ सेवाएं शेष हैं जो कंप्यूटर द्वारा नहीं की जा सकतीं जैसे माल की बिक्री करने के सेल्समैन, बीमारों की सेवा करने के लिए नर्स, बच्चों को शिक्षा देने के लिए टीचर, संगीत सिखाने के लिए संगीतज्ञ। इस प्रकार की सेवाएं जो कि मनुष्य द्वारा मनुष्य को सप्लाई की जाती, इन सेवाओं में आगे रोजगार बनने की सम्भावना है। बाकी सभी में रोजगार का संकुचन होगा। इसलिए सरकार को चाहिए कि उन सेवाओं को चिन्हित करे, जिनमें भविष्य में कंप्यूटर तथा सॉफ्टवेयर दिए जाने की सम्भावना कम है, इन सेवाओं हेतु अंतर्राष्ट्रीय स्तर की विशेष ट्रेनिंग की व्यवस्था करे। हमें उन विशेष सेवाओं को चिन्हित करना होगा, जिनमें मनुष्य द्वारा ही मनुष्य को सेवा उपलब्ध कराई जाती है।

साथ ही हमें  उन तकनीकों को चिन्हित करना होगा, जिनमें भारी मात्रा में रोजगार का हनन हो रहा है। इन तकनीकों पर विशेष टैक्स आरोपित करना चाहिए। जैसे कृषि में हार्वेस्टर से कटाई के दौरान खेत मजदूरों को होने वाली आय का भारी संकुचन हुआ है। अतः हार्वेस्टर पर भारी टैक्स लगा दिया जाये तो कटाई में खेत मजदूर के रोजगार बढ़ जायेंगे। जैसे दक्षिण कोरिया ने उन कम्पनियों पर टैक्स की दर बढ़ा दी है जो कि रोबोट का उपयोग करते हैं। हम भी अपने आयकर एवं जीएसटी के कानून में जिन फैक्टरियों में श्रमिकों की संख्या कम है अथवा रोबोटों का उपयोग किया जा रहा है, उन पर टैक्स की दर को बढ़ा सकते हैं। ऐसा करने से एक साथ दो लाभ होंगे। एक तरफ सरकार को रोबोट टैक्स लगाने से आय मिलेगी तो दूसरी तरफ कम्पनियों के लिए रोबोटों का उपयोग करना कम लाभप्रद हो जायेगा।
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श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।
संपर्क  9425022703        
rakeshdubeyrsa@gmail.com
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