आॅडिट की आपत्ति के कारण कर्मचारी की वेतनवृद्धि नहीं रोकी जा सकती: HIGH COURT

Bhopal Samachar
इंदौर। सिर्फ आॅडिट की आपत्ति के कारण किसी कर्मचारी की वेतनवृद्धि नहीं रोकी जा सकती और ना ही वेतन से वसूली की जा सकती है। इसके पीछे नियमों का अध्ययन करना जरूरी है। यह आदेश हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने दिया। न्यायमूर्ति एससी शर्मा ने एक याचिका की सुनवाई के बाद दो कर्मचारियों की वेतनवृद्धि रोकने और पूर्व में दी जा चुकी वेतनवृद्धि की वसूली का आदेश निरस्त कर दिया। बता दें कि विभागीय परीक्षा पास करने के बाद कर्मचारियों को अतिरिक्त वेतन वृद्धि का लाभ दिया गया था परंतु आॅडिट की आपत्ति के बाद ना केवल अतिरिक्त वेतन वृद्धि निरस्त कर दी गई बल्कि वेतन से वसूली के आदेश भी जारी कर दिए गए। कोर्ट ने इस प्रक्रिया को गलत बताया है। 

एडवोकेट आनंद अग्रवाल ने कर्मचारियों की ओर से दायर याचिका में कहा था कि दो कर्मचारियों ने स्थानीय शासन विभाग की परीक्षा उत्तीर्ण की थी। इस पर 2011-12 में दोनों को अतिरिक्त वेतनवृद्धि स्वीकृत कर देना शुरू की थी। 2016 में विभाग के आॅडिट में आपत्ति ली गई थी कि इन दोनों कर्मचारियों को वेतनवृद्धि की पात्रता नहीं है। इस पर विभाग ने वेतनवृद्धि निरस्त कर पूर्व में दी गई वेतनवृद्धि की राशि वसूलना शुरू कर दी थी। एडवोकेट अग्रवाल ने तर्क दिया कि शासन ने 1960 में जारी परिपत्र और उसी के आधार पर 2010 में जारी परिपत्र पर विभागीय परीक्षा पास करने पर अतिरिक्त वेतनवृद्धि दी। शासन ने अपने ही नियम के तहत वेतनवृद्धि दी, किंतु आॅडिट की आपत्ति के बाद निरस्त करना उचित नहीं है। 

सुनवाई में शासन ने भी पक्ष रखते हुए वेतनवृद्धि रोकना उचित बताया। कोर्ट ने फैसले में निर्देश दिए कि विभागीय परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद दी गई अतिरिक्त वेतनवृद्धि उचित है, कर्मचारी इसके पात्र हैं। कोर्ट ने शासन का वेतनवृद्धि निरस्त करने और पूर्व में दी गई वेतनवृद्धि की वसूली का आदेश निरस्त कर दिया। 
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