सावन का दूसरा सोमवार 6 अगस्त को है, इस दिन बेहद शुभ संयोग बनने जा रहा है। इस संयोग में पूजा करने से भगवान हर मनोकामना पूरी करते हैं। पुराणों के अनुसार, अन्य दिनों की अपेक्षा सावन में इस संयोग में शिव की सच्चे मन से पूजा करने पर कई गुना लाभ मिलता है। शिव के रूद्र रूप को उग्र माना जाता है लेकिन प्रसन्न होने पर ये तीनों लोकों के सुखों को भक्तों के लिए सुलभ कर देते हैं। सावन के महीने में रूद्र ही सृष्टि के संचालन का कार्य देखते हैं। आइए जानते हैं, इस सोमवार को कौन सा खास संयोग बना है…
शिव-पार्वती के लिए है बेहद खास
शिवपुराण के अनुसार, भगवान शिव ने माता पार्वती की तपस्या से प्रसन्न होकर सावन के महीने में ही उन्हें पत्नी रूप में स्वीकार करने का वरदान दिया था। साथ ही उन्होंने यह भी कहा था कि जो भी भक्त सावन में मेरी पूजा करेगा उनकी सभी मनोकामनाएं मैं पूरी करूंगा।
कालसर्प योग भी होगा दूर
सावन का दूसरा सोमवार शिवभक्तों को बेहतर स्वास्थ्य और बल प्रदान करने वाला माना गया है। सावन के इस सोमवार में शिव को भांग, धतूरा और शहद अर्पित करना उत्तम फलदायी रहेगा। कालसर्प योग की शांति के लिए भी दूसरा सोमवार बेहद शुभ है। शिव का रुद्राभिषेक से विशेष लाभ और शिव की कृपा प्राप्त होती है और कालसर्प योग भी दूर होता है।
यह हैं विशेष संयोग
सावन का दूसरे सोमवार को सर्वार्थ सिद्धि योग बना है इसके साथ ही वृद्धि योग और कृतिका नक्षत्र का संयोग बना है। जब सोमवार में इस तरह का योग बनता है तब इस मुहूर्त में शुक्र अस्त, पंचक, भद्रा आदि पर विचार करने की जरूरत नहीं होती है। सच्चे मन से पूजा करने पर भगवान का आशीर्वाद मिलता है।
सबसे सिद्ध मुहूर्त है सर्वार्थ सिद्धि योग
सर्वार्थ सिद्धि योग अपने आप में भी सिद्ध मुहूर्त होते है। इस मुहूर्त में पूजा करने से नीच ग्रहों का प्रभाव नहीं रहता है। इसके अलावा कुयोग को समाप्त करने की शक्ति भी इस मुहूर्त में होती है। इस योग में आप गृह प्रवेश, मकान खरीदना, उद्घाटन करना, वाहन खरीदना आदि सभी कार्यों को आप बेहिचक इस मुहूर्त में कर सकते है।
सभी कार्य होते हैं पूरे
सावन के सोमवार के दिन वृद्धि योग बेहद शुभ माना गया है। इस योग में शिव की पूजा करने से सभी कार्य पूरे होते हैं। भगवान शिव की भक्ति इस योग में करने से आपके आसपास कभी नकारात्मक ऊर्जा नहीं आती है।
शिवपुत्र से जुड़ा है कृतिका नक्षत्र
वैदिक ज्योतिष के अनुसार, भगवान शिव के पुत्र श्री कार्तिकय को कृतिका नक्षत्र का देवता माना जाता है। जिसके चलते इस नक्षत्र पर कार्तिकेय का भी प्रबल प्रभाव रहता है। इस नक्षत्र में भगवान शिव की पूजा करने से विनम्रता, तीव्र बुद्धि तथा अन्य कई विशेषताएं आशीर्वाद के रूप में शिवभक्त को मिलती हैं।
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