भोपाल। यदि आप सीएम शिवराज सिंह को जानते हैं तो इस तस्वीर से रुबरू तो जरूर हुए होंगे। पिछले 2 साल से यह फोटो सोशल मीडिया पर लगातार वायरल हो रही है। इस तस्वीर के कारण शिवराज सिंह जितने ट्रोल हुए, शायद व्यापमं घोटाले में भी नहीं हुए होंगे। अब जबकि चुनाव निकट आ गए हैं तो शिवराज सिंह ने इस तस्वीर पर अपना स्पष्टीकरण प्रस्तुत किया है। उन्होंने बताया कि वो सड़क नहीं थी, नदी में बाढ़ थी। एक गांव दूसरी तरफ़ था, सुरक्षा की दृष्टि से उन्होंने मुझे उठाकर दूसरी तरफ़ कर दिया था। उन्हें डर था कि नदी में मेरे पैर फिसल ना जाएं।
बता दें कि यह अगस्त 2016 की तस्वीर है। जो पन्ना जिले के अमनगंज तहसील क्षेत्र में ली गई थी। इस तस्वीर को सीएम शिवराज सिंह के प्रचार विभाग ने ही जारी किया था। उनकी योजना थी कि इस तस्वीर के माध्यम से वो यह बताएं कि मुख्यमंत्री कितने दुर्गम मार्ग को पार करते हुए बाढ़ पीढ़ितों से मिलने जा रहे हैं परंतु इसका उल्टा हो गया। यह फोटो सोशल मीडिया पर आते ही ट्रोल हो गया। 1 घंटे के भीतर तो यह फोटो देश भर की मीडिया का प्रमुख फोटो बन चुका था।
सवाल शेष है: पानी तो घुटनों तक भी नहीं था, फिर डरे क्यों
कुछ देर बाद इतने ही पानी में मजे से टहल रहे थे शिवराज |
सीएम शिवराज सिंह ने सफाई तो पेश कर दी है परंतु इससे उनकी बिगड़ी हुई छवि की मरम्मत नहीं होती। सीएम शिवराज सिंह खुद को नर्मदा पुत्र भी कहते थे। उनका गांव नर्मदा नदी के किनारे हैं। लोग मैदान में खेलकर बड़े होते हैं, शिवराज सिंह नर्मदा नदी में तैराकी करके बड़े हुए हैं। इस तस्वीर में पानी घुटनों तक भी नहीं है। तस्वीर वाले दिन शिवराज सिंह की उम्र भी 57 साल थी। फिर ऐसा क्या डर था जो शिवराज सिंह सिपाहियों की गोद में जा बैठे। हो सकता है कि उन्होंने आग्रह किया हो, परंतु क्या शिवराज सिंह इतने मासूम हैं कि वो कोई भी आग्रह मान लेते हैं।
क्या यह ब्रांडिंग के लिए प्लानिंग थी, जो उल्टी पड़ गई
पूरी तरह से फिट थे शिवराज, सीढ़ी पर चढ़कर टेंट का पाइप जोड़ा था |
तस्वीर चीख चीख कर बयां कर रही है कि नदी में बाढ़ नहीं थी। बस इतना सा पानी था कि आपके जूते पानी में डूब जाएं। सीएम शिवराज सिंह को कोई खतरा नहीं था। जो मुख्यमंत्री सिंहस्थ में बरसते पानी में खंभे पर चढ़कर पाइप जोड़ दे, उसे जूतों जितने पानी से डर कैसा। कहीं यह ब्रांडिंग की प्लानिंग तो नहीं थी। यह जताने के लिए कि शिवराज सिंह जनता के लिए जान भी जोखिम में डाल रहे हैं लेकिन फोटो के लिए स्थल का चयन गलत हो गया और दांव उल्टा पड़ गया। दरअसल, यह फोटो नदी में बाढ़ गुजर जाने के बाद का है।
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