सीधी। मध्यप्रदेश शासन द्वारा अतिथि शिक्षकों के लिये एक राहत भरा आदेश जारी किया है कि जिन अतिथि शिक्षक कोर्ट कोर्ट से स्थगन प्राप्त हो रहे हैं। उनके स्थान को रिक्त न दिखाया जाय और स्थगन प्राप्त अतिथि शिक्षकों को उनके स्थान पर नियुक्ति किया जाय। जिला अध्यक्ष रविकांत गुप्ता ने बताया कि सरकार ने ऑनलाइन प्रक्रिया में पुराने अनुभवी अतिथि शिक्षकों को अनुभव की बरियता नही दी थी, न ही अनुभव के अंक स्कॉर कार्ड में जोड़े थे, जबकि रिटायर्ड शिक्षकों को 100 अंक अनुभव के मिले थे ऐसे में जब पुराने अतिथि शिक्षकों को सरकार से न्याय नही मिला तो माननीय उच्चन्यायल की शरण लेनी पड़ी।
माननीय उच्च न्यायालय ने पुराने अनुभवी अतिथि शिक्षकों के हक को सुरक्षित रखते हुए उनके साथ न्याय किया है। जब तक स्थाई शिक्षक भर्ती नही हो जाती तब तक जो अतिथि शिक्षक पूर्व से कार्य कर रहे थे उन्हें यथावत कार्य करने दिया जाए उनके स्थान नये अतिथि शिक्षक भर्ती न करे। अधिवक्ता वृंदावन तिवारी जिले के अतिथि शिक्षको का पक्ष उच्च न्यायालय जबलपुर के सामने रखा था। संजय द्विवेदी की एकलपीठ ने आदेश देते हुए कहा कि जहाँ आवश्यक हो खाली पदों पर नई भर्ती कर सकती है जिससे पुराने अतिथि शिक्षकों को जिन्हें प्राचार्यों के द्वारा मनमानी तरीके से भाई भतीजा वाद को फायदा देने के चक्कर मे पुराने अतिथि शिक्षकों को बाहर किया जा रहा था उन्हें राहत की सांस मिली हैं।
जिलाध्यक्ष रविकांत गुप्ता ने बताया कि उच्च न्यायालय से प्राप्त आदेश से हमारे अनुभवी पुराने कार्यरत अतिथि शिक्षको को न्याय मिला है। हमारा माननीय उच्च न्यायालय के प्रति विश्वास बढ़ गया है क्योंकि सरकार ने आज तक सिर्फ अतिथि शिक्षकों का शोषण किया है जब चाहे निकाल देने से परेशान थे जिससे हाईकोर्ट की शरण लेनी पड़ी। इन गरीब अतिथि शिक्षकों के सामने उच्च न्यायालय के आदेश के बाद शासन को झुकना पड़ा। इसी तारतम्यता मे लोकशिक्षण संचालनालय से आदेश भी हो चुका है कि हाईकोर्ट से स्थगन आदेश क्रमांक wp 514/2017 व अन्य आदेशों के याचिकाकर्ताओं को यथास्थान कार्य करने दिया जाए उनके पद पोर्टल में शो नही किये जायें।
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