भोपाल। एेसे आरोपी जिनका कोर्ट से स्थायी वारंट जारी हो चुका है और उनकी छह महीने में गिरफ्तारी नहीं हुई है, उनके नाम वोटर लिस्ट से हटाए जाएंगे। चुनाव आयोग ने कलेक्टरों से प्रदेश में ऐसे 80 हजार मामलों का पुलिस से परीक्षण करवाकर रिपोर्ट भेजने को कहा है। आयोग जनप्रतिनिधित्व अधिनियम में दिए प्रावधानों के अनुसार स्थायी वारंटियों के मतदाता सूची से नाम हटाने की कार्रवाई कर रहा है। इस एक्ट में यह प्रावधान है कि जिस व्यक्ति का विधानसभा क्षेत्र की वोटर लिस्ट में नाम नहीं है, वह चुनाव लड़ने से भी अयोग्य होगा।
स्थायी वॉरंटी के लिए कलेक्टर, एसपी को आदेश:
कलेक्टर और एसपी से एेसे सभी स्थायी वारंटी (जिनकी छह महीने से ज्यादा समय में गिरफ्तारी नहीं हो सकी) के मामलों का परीक्षण कर कार्रवाई करने को कहा है। जिससे वोटर लिस्ट से ऐसे लोगों के नाम हटाए जा सकें। - वीएल कांताराव, मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी मध्यप्रदेश
पुलिस से समन जारी करने को कहे आयोग:
राजनीतिक दलों के कार्यकर्ताओं द्वारा किए गए धरने-प्रदर्शन के मामले आईपीसी में दर्ज होते हैं। ऐसे आंदोलन जनहित में किए जाते हैं। ऐसे मामलों में आयोग पुलिस को निर्देशित कर समन जारी करने को कहे, ताकि वे समय रहते कानूनी कार्रवाई कर अपना पक्ष रख सकें।
जेपी धनोपिया, प्रभारी कांग्रेस, चुनाव आयोग संबंधी कार्य
लाेकतांत्रिक अधिकारों से वंचित न होना पड़े, पक्ष रखने का मौका मिले
आयोग को शीघ्र राजनीतिक दलों के कार्यकर्ताओं पर आंदोलन के दर्ज मामलों में पुलिस को कार्रवाई करने के लिए निर्देशित करना चाहिए। वे समय पर कोर्ट में अपना पक्ष रखकर बरी हो सकेंगे, जिससे उन्हें अपने लोकतांत्रिक अधिकारों से वंचित नहीं होना पड़ेगा।
दीपक विजयवर्गीय, मुख्य प्रवक्ता, भाजपा
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