भोपाल। सुल्तानगढ़ हादसे ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया। लोग स्वतंत्रता दिवस की छुट्टी के तय कार्यक्रम छोड़कर काम पर लौट आए। केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर मौके पर पहुंच गए। सीएम शिवराज सिंह चौहान प्रशासनिक अधिकारियों के संपर्क में हैं। दिग्विजय सिंह चिंतित हैं, ज्योतिरादित्य सिंधिया परेशान हैं परंतु मध्यप्रदेश के भावी भाग्यविधाता कमलनाथ आराम कर रहे हैं। वो दुनिया के किस हिस्से में हैं और उन तक सुल्तानगढ़ हादसे की खबर अब तक क्यों नहीं पहुंची, इन सवालों के जवाब शायद कोई नहीं पूछेगा। लेकिन जनता को विचार करना होगा। कहीं शिवराज से नाराज होकर शिवराज के बदले शिवराज से भी खराब व्यवस्था का चुनाव तो नहीं करने जा रहे। बड़े बुजुर्ग समझा गए हैं, पूत के पांव पालने में ही देख लेना चाहिए।
मध्यप्रदेश में चल रही शिवराज सिंह विरोधी लहर का पूरा फायदा उठाने की जुगत लगाए बैठे कमलनाथ को प्रदेश की समस्याओं और घटनाओं से पहले भी वास्ता नहीं था और शायद अब भी नहीं है। जुगाड़ की राजनीति में माहिर कमलनाथ राउंट टेबल मीटिंग और गठबंधन की कोशिशों के अलावा कुछ नहीं कर रहे हैं। जनता से जुड़ने की तो कतई कोशिश नहीं की जा रही है। कमलनाथ की निष्क्रीयता का सुल्तानगढ़ हादसे से बड़ा अब कोई प्रमाण हो ही नहीं सकता।
क्या हुआ है सुल्तानगढ़ हादसे में
ग्वालियर शिवपुरी के बीच सुल्तानगढ़ एक प्राकृतिक जल प्रपात है। यहां लोग अक्सर पिकनिक के लिए आते हैं। स्वतंत्रता दिवस का अवकाश होने के कारण आज यहां संख्या ज्यादा थी। लोग पानी के किनारे चट्टानों पर बैठे हुए थे कि अचानक पानी का लेवल बढ़ने लगा। इससे पहले कि लोग कुछ समझ पाते वो पानी के बीच में थे। तेज बहाव में आ रहा पानी वहां मौजूद 12 से 17 लोगों को बहा ले गया। उनके अब तक शव भी नहीं मिले हैं। 40 लोग बाढ़ में फंसे हुए हैं। प्रशासनिक लापरवाही के कारण रेस्क्यू आॅपरेशन देरी से शुरू हुआ और सेना मात्र 7 लोगों को बचा पाई। रात 10:30 बजे तक 25 से ज्यादा लोग फंसे हुए थे।
कमलनाथ सो रहे हैं अब सुबह ही उठेंगे
हर रोज ट्वीटर पर शिवराज सिंह सरकार को लताड़ लगाने वाले कमलनाथ ने एक अदद बयान जारी नहीं किया। किसी अधिकारी से बात नहीं की। अपने किसी प्रतिनिधि नेता को घटनास्थल पर नहीं भेजा। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ आज शायद अवकाश पर हैं या फिर शाम को वो काम नहीं करते। उनका अपना टाइम टेबल हो सकता है। अच्छा है कमलनाथ फिलहाल मुख्यमंत्री नहीं हैं, नहीं तो क्या पता ये 7 जो बचा लिए गए, उनका क्या होता।
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