भोपाल। नगरनिगम भोपाल में स्टेनो टायपिस्ट अनीश सक्सेना पर 15 साल पहले गबन का आरोप लगा था। उन्होंने हर्षवर्धन कॉम्पलेक्स की दुकानों का किराया और जल दर वसूली अपनी जेब में डाल ली थी। 15 साल बाद जब कोर्ट में अनीश सक्सेना के खिलाफ भ्रष्टाचार का दोष प्रमाणित हुआ और कोर्ट ने सजा सुनाई तो बेहोश हो गए।
मामला नगर निगम में हुए एक लाख 44 हजार रुपए के गबन का है। गुरुवार को न्यायाधीश राकेश कुमार शर्मा ने इस मामले में फैसला सुनाते हुए स्टेनो टायपिस्ट अनीश सक्सेना को सात साल जेल और एक लाख 40 हजार रुपए जुर्माने की सजा सुनाई। अदालत से सजा सुनते ही कठघरे में खड़ा पैरालिसिस से पीड़ित अनीश बेहोश हो गया। इसके बाद कोर्ट के स्टाफ ने अनीश को अदालत की बेंच पर लिटा दिया। इसी बीच एम्बुलेंस अदालत पहुंची और उसमें मौजूद डॉक्टर ने अनीश का चेकअप कर उसकी हालत स्थिर बताई।
न्यायाधीश ने एम्बुलेंस से ही आरोपी को केंद्रीय जेल भेजने और जेल अधीक्षक को चिकित्सा सुविधा मुहैया कराने के निर्देश दिए। सरकारी वकील मंजू जैन सिंह ने बताया कि नगर निगम में स्टेनो टायपिस्ट के पद पर पदस्थ रहे अनीश सक्सेना ने 2003 से 2004 के बीच जोन क्रमांक 5 में श्यामला हिल्स गेस्ट हाउस और हर्षवर्धन कॉम्पलेक्स की दुकानों का किराया और जल दर वसूली के एक लाख 44 हजार रुपए निगम के खाते में जमा नहीं किए थे। तलैया पुलिस ने सक्सेना के खिलाफ अमानत में खयानत और गबन का मुकदमा दर्ज किया था।