भोपाल। अस्पतालों में मरीज का ट्राॅली-स्ट्रेचर खींचने के लिए वार्डबॉय होते हैं, क्योंकि ट्राॅली-स्ट्रेचर खींचने की भी एक ट्रिक होती है। इसे सीधे धक्का देंगे तो मरीज गिर भी सकता है परंतु राधेश्याम जुलानिया, एसीएस, चिकित्सा शिक्षा विभाग ने व्यवस्था दी है कि यदि वॉर्डबॉय नहीं है और मरीज के परिजन सक्षम हैं तो वो भी ट्राॅली-स्ट्रेचर खींचें। इससे कोई दिक्कत नहीं है। सामान्यत: इस तरह की व्यवस्थाएं जिम्मेदारों को लापरवाह बनातीं हैं क्योंकि उनके पास शिकायत से बचने का बहाना होता है। सामाजिक कार्यकर्ता श्रीमद डांगोरी का कहना है कि इस मामले में भी ऐसा ही होगा। अस्पतालों में वार्डबॉय ट्राॅली-स्ट्रेचर खींचने से साफ इंकार कर देंगे और अब परिजनों को ही मरीज का ट्राॅली-स्ट्रेचर खींचना होगा।
सरकार ने प्राइवेट कंपनी को दिया है बॉर्डबॉय का ठेका
गांधी मेडिकल कॉलेज की स्वशासी समिति की बैठक यह निर्णय लिया गया। यह स्थिति तब है जबकि सरकार ने हमीदिया और सुल्तानिया अस्पताल की व्यवस्थाओं को दुरुस्त करने के लिए एचएलएल लाइफ केयर लिमिटेड (एचएलएल) द्वारा अनुबंधित कंपनी हाइट्स को वार्ड बॉय 142, सिक्युरिटी गार्ड 249, सफाईकर्मी 252, कम्प्यूटर ऑपरेटर 49, लैब टेक्निशियन 33 को अस्पताल में तैनात किया गया है। कुल 725 आउटसोर्स कर्मचारियों के भरोसे दोनों अस्पताल का संचालन किया जा रहा है। इसके एवज में सरकार हर महीने हाइट्स कंपनी को करीब 1 करोड़ रुपए का भुगतान कर रही है।
इस फैसले के बाद मरीजों के परिजनों में सेवा भाव बढ़ेगा
हमीदिया और सुल्तानिया अस्पताल में मरीजों से ट्राॅली और स्ट्रेचर खींचने में सहयोग किए जाने के फैसला लिए जाने के बारे में जब एक पत्रकार द्वारा चिकित्सा शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव राधेश्याम जुलानिया से जब इस बारे में सवाल किया गया तो उनका कहना था कि इस फैसले के बाद मरीजों के परिजनों में सेवा भाव बढ़ेगा और वार्ड ब्वॉय के नहीं होने पर वो खुद ही अपना काम कर सकेंगे। गौरतलब है कि हमीदिया अस्पताल में रोजाना 2 हजार मरीज ओपीडी में इलाज के लिए आते हैं। इसमें से 20 से ज्यादा लोगों को ओपीडी में डॉक्टर्स के पास तक ले जाने के लिए स्ट्रेचर की जरूरत पड़ती है। इसी तरह वार्ड में भर्ती मरीजों को सोनोग्राफी, सीटी स्कैन और एमआरआई कराने के लिए स्ट्रेचर से सेंटर तक ले जाया जाता है।
इस व्यवस्था के लिए नियम बनाने को कहा है
बैठक में इस एजेंडा को चर्चा के लिए रखा गया था। हमने एसीएस से मांग की थी कि वार्ड ब्वॉय की संख्या को बढ़ाया जाए लेकिन अपर मुख्य सचिव ने बैठक में कहा था कि जो व्यक्ति सक्षम है वो स्ट्रेचर खींच सकता है। इस व्यवस्था को लागू करने के लिए उन्होंने नियम बनाने के लिए कहा है।
डॉ. एके श्रीवास्तव, अधीक्षक, हमीदिया अस्पताल
इसमें दिक्कत क्या है
मरीज का परिजन यदि स्ट्रेचर खींचने के लिए सक्षम है तो इसमें दिक्कत क्या है। बुजुर्ग और गंभीर बीमार मरीज के लिए अस्पताल में वार्ड ब्वॉय हैं। वो स्ट्रेचर खींचने में मदद करते हैं और आगे भी करते रहेंगे। फिलहाल यह हर मरीज पर व्यवस्था लागू नहीं होगी और न ही इसे अनिवार्य किया गया है।
राधेश्याम जुलानिया, एसीएस, चिकित्सा शिक्षा विभाग
मध्यप्रदेश और देश की प्रमुख खबरें पढ़ने, MOBILE APP DOWNLOAD करने के लिए (यहां क्लिक करें) या फिर प्ले स्टोर में सर्च करें bhopalsamachar.com