भोपाल। भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी अभय वर्मा को नरसिंहपुर में कलेक्टरी की ठसक भारी पड़ती नजर आ रही है। पिछले दिनों उन्होंने बदहाल सड़क पर सवाल जवाब कर रहे एक रिटायर्ड रेल कर्मचारी को जेल भेज दिया था। अब पब्लिक भड़क गई है। सड़कों पर उतर आई है। मानवाधिकार आयोग ने मामले को संज्ञान में ले लिया है। सीएम शिवराज सिंह अभी भी कलेक्टर वर्मा पर अपना आशीर्वाद बनाए हुए हैं परंतु यह चुनावी साल है। सीएम का सपोर्ट ज्यादा देर तक टिक नहीं पाएगा।
मानवाधिकार आयोग ने CCTV फुटेज मांगे
राज्य मानवाधिकार आयोग ने नरसिंहपुर के कलेक्टर और एसपी से कहा है कि जिस जनसुनवाई के दौरान यह घटना हुई है उसका सीसीटीवी फुटेज संभाल कर रखें। बता दें कि 21 अगस्त को जनसुनवाई के दौरान 62 साल के प्रमोद कुमार पुरोहित अपने गांव खुरपा की खराब सड़क की शिकायत करने गए थे। शिकायत पर कलेक्टर अभय वर्मा ने उन्हें संबंधित विभाग की डेस्क पर भेजा। वहां कोई नहीं मिला तो पुरोहित फिर कलेक्टर के पास पहुंच गए। इस पर कलेक्टर नाराज हो गए और उन्होंने उन्हें पुलिस के हवाले कर दिया। पुलिस ने बुजुर्ग को धारा 151 के तहत जेल भेज दिया। 4 दिन बाद वह जमानत पर छूटे। इसके बाद उन्होंने पुलिस अधीक्षक से लिखित शिकायत की।
उधर, कलेक्टर अभय वर्मा ने अपना बचाव करते हुए कहा है कि पुरोहित ने शराब पी रखी थी। हंगामा करने पर उनके खिलाफ कार्रवाई की गई। वहीं पुरोहित ने कलेक्टर के इस आरोप को झूठा बताया है। पुरोहित ने मेडीकल कराने की मांग की और दावा किया कि उन्होंने जीवन में कभी शराब नहीं पी।
अब इस मामले में सियासत भी तेज हो गई है। कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने कलेक्टर के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। राज्य मानवाधिकार आयोग के संज्ञान लेने के बाद मामला और गरमा गया है। वैसे यह पहला मामला नहीं है। इससे पहले खरगोन और छिंदवाड़ा के कलेक्टर भी इसी तरह के कदम उठा चुके हैं।
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