अतुल सोनी। मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग जैसी संविधानिक संस्था के द्वारा भर्ती प्रक्रिया पर दिन प्रतिदिन नए सवाल उठ रहे हैं। चाहे गलत उत्तर कुंजी मामला, जैन भर्ती कांड, प्रोफ़ेसर भर्ती परीक्षा हो। इसके बाद अब एक नया विवाद "राज्य इंजीनियरिंग सेवा परीक्षा सेवा परीक्षा 2017" को लेकर के उठ रहा है। मार्च माह में आयोजित मुख्य परीक्षा के परिणाम को लेकर विवाद की स्थिति निर्मित हो गई है। विदित हो कि राज्य इंजीनियरिंग सेवा परीक्षा के विज्ञापन के आधार पर निर्धारित पदों के 3 गुने एवं समान अंक के अभ्यर्थियों को इंटरव्यू हेतु चयनित करने का प्रावधान है। परंतु आयोग अपने ही भर्ती नियमों में घिरता नजर आ रहा है।
यह है विवाद
सहायक यंत्री सिविल के (116) विद्युत के (11) यांत्रिकी के (2) पद स्वीकृत किए गए थे जिनके लिए नियम अनुसार सिविल के (348) विद्युत के (33) यांत्रिकी के (6) अभ्यर्थियों को इंटरव्यू हेतु बुलाया जाना सुनिश्चित था। किंतु आयोग ने सिविल के(297) विद्युत के (12) एवं यांत्रिकी के (6) लोगों को इंटरव्यू हेतु बुलाया गया है।
ऐसी स्थिति में इंटरव्यू का अर्थ ही क्या रह जाता है जब सभी की नौकरी कंफर्म हो। जब सहायक यंत्री यांत्रिकी के 2 पदों के विरुद्ध 6 लोगों को नियमानुसार बुलाया गया है तो विद्युत के 11 पदों के लिए 12 लोगों को बुलाने का तर्क समझ से और नियम से परे है। समस्त छात्रों में राज्य इंजीनियरिंग सेवा मुख्य परीक्षा 2017 के परिणाम को लेकर घोर असंतोष व्याप्त है एवं एक सप्ताह के भीतर नियमानुसार संशोधित परिणाम सूची जारी ना करने पर आयोग कार्यालय का घेराव, विरोध, धरना प्रदर्शन की चेतावनी दी जा रही है।
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