भोपाल। मयंक श्रीवास्तव <mayank.260818@gmail.com> ने यह मुद्दा उठाया है। भोपाल समाचार को भेजे ईमेल में मयंक ने लिखा है: 5 अगस्त को MPPSC द्वारा राज्य वन सेवा मुख्य परीक्षा आयोजित की गयी थी जो एक ऑब्जेक्टिव परीक्षा थी। इस परीक्षा में एक प्रश्न का हिंदी और अंग्रेजी संस्करण अलग-अलग था। आयोग ने 6 अगस्त को उत्तर कुंजी जारी की लेकिन इसमें 7 प्रश्नों के उत्तर गलत थे।
कई छात्रों ने 100 रुपये प्रति प्रश्न देकर प्रमाण के साथ उत्तर कुंजी पर आपत्ति दर्ज़ कराई। छात्र अंतिम उत्तर कुंजी का बड़ी बेसब्री से इंतज़ार कर रहे थे कि उत्तर कुंजी संशोधित होकर आएगी और उनका भविष्य इस बार संवरेगा लेकिन आयोग ने अपना चिर परिचित तानाशाही रवैय्या अपनाते हुए छात्रों की आपत्तियों को शायद पढ़ा तक नहीं। क्यूंकि यदि पढ़ा होता तो कोई भी सामान्य व्यक्ति सही उत्तर बता सकता था।
मसलन चालक की प्रतिरोधकता पदार्थ और ताप दोनों पर निर्भर करती है जबकि आयोग के अनुसार सिर्फ़ पदार्थ पर। यहाँ तक की आयोग ने हिंदी और अंग्रेजी अलग-अलग संस्करण बाले प्रश्न को रद्द तक नहीं किया। सरकार भी इस पर मौन है। सवाल यह है जो छात्र अपनी नौकरी छोड़कर, या ज़मीन बेचकर दिन रत एक करके सालों मेहनत करते हैं; क्या उनका ये जूनून बना रहेगा ? और क्या उनकी आने वाली पीढ़ियां तैयारी करने आएँगी ? और जो सरकार अपने युवाओं का भविष्य सुरक्षित नहीं कर सकती क्या वो दुबारा सत्ता में आने लायक हैं ? या तो आयोग और सरकार छात्रों से स्पष्ट कह दे की यहाँ तो ऐसे ही चलेगा आप लोग पकोड़े वगैरा बनाना सिख लो। ताकि कम से कम छात्रों का अमूल्य समय तो तैयारी में बर्बाद न हो!
मध्यप्रदेश और देश की प्रमुख खबरें पढ़ने, MOBILE APP DOWNLOAD करने के लिए (यहां क्लिक करें) या फिर प्ले स्टोर में सर्च करें bhopalsamachar.com