इंदौर। एमपी पीएससी का ढर्रा भी बाबू बाजार जैसा हो गया है। यहां लॉजिक के लिए कोई जगह ही नहीं बची। हर बात पर उम्मीदवारों को हाईकोर्ट जाना पड़ता है। एमपी पीएससी का प्रबंधन इतना बकवास हो गया है कि यहां एमपी पीएससी द्वारा की गई गलतियों का भी सुधार नहीं किया जाता। ताजा मामला नगरीय विकास एवं आवास विभाग के लिए सहायक निदेशक प्लानिंग की भर्ती परीक्षा का है। इसमें उम्मीदवारों से वो डिग्री मांग ली गई जो देश की किसी भी यूनिवर्सिटी में नहीं मिलती। उम्मीदवार गलती बता रहे हैं परंतु पीएससी प्रबंधन सुधारने को तैयार ही नहीं।
बाबू गलती मानने को तैयार ही नहीं, प्रबंधन के कान बंद हैं
1 मार्च को अधिसूचना जारी की गई थी। 14 अप्रैल तक आवेदन बुलाए। 24 अगस्त को परीक्षा होनी है। इस परीक्षा के लिए प्रदेशभर से दावेदारों ने आवेदन किए। आयोग ने जो शैक्षणिक योग्यताएं मांगी हैं, उनमें ट्रैफिक एंड ट्रांसपोर्ट की डिग्री भी शामिल है। इस नाम से देश के किसी कॉलेज में डिग्री नहीं दी जाती है। उम्मीदवारों का कहना है कि यह कोर्स एसजीएसआईटीएस सहित तमाम शासकीय कॉलेजों में ट्रांसपोर्ट इंजीनियरिंग नाम से होता है। इसमें ट्रैफिक एंड ट्रांसपोर्ट ही पढ़ाया जाता है। यानी सिर्फ डिग्री के नाम का फेर है। पीएससी की विज्ञप्ति बनाने वालों ने डिग्री का नाम गलत लिख दिया। यह समझकर उम्मीदवारों ने आवेदन कर दिए परंतु आवेदन फॉर्म जांचने वाले पीएससी के बाबुओं ने डिग्री का बदला हुआ नाम देखकर फॉर्म खारिज कर दिए। इस लापरवाही के चलते प्रदेशभर के आवेदन नौकरी की दौड़ से बाहर हो गए हैं। आयोग में उनकी सुनवाई नहीं हो रही है। बाबू लोग लकीर के फकीर बने हुए हैं।
कॉलेज का लिखा भी नहीं मान रहे
डिग्री के नाम में अंतर होने से जिन दावेदारों के आवेदक खारिज हुए उन्होंने एसजीएसआईटीएस के विभागीय प्रमुख से लिखा कर दे दिया कि ट्रांसपोर्ट इंजीनियरिंग नाम से जो कोर्स होता है, उसमें ट्रैफिक एंड ट्रांसपोर्ट ही पढ़ाया जाता है। अत: आवेदन मान्य किए जाएं, क्योंकि ट्रैफिक एंड ट्रांसपोर्ट नाम से कोई डिग्री नहीं होती है। आवदेकों का कहना है कि आरजीपीवी से मान्यता प्राप्त एसजीएसआईटीएस प्रदेश का सबसे पुराना और सबसे बड़ा इंजीनियरिंग कॉलेज है। 1952 से संचालित इस शासकीय कॉलेज की तुलना आईआईटी से की जाती है। प्रथम सेमेस्टर की अंकसूची में ट्रैफिक इंजीनियरिंग और सेकंड सेमेस्टर की मार्कशीट में ट्रांसपोर्ट प्लानिंग भी लिखा है। इसके बाद भी इतने बड़े कॉलेज की पीजी डिग्री को अमान्य करना समझ से परे है।
पीएससी की गलती हम क्यों भुगते
एमपी पीएससी ने सहायक निदेशक प्लानिंग के पदों पर भर्ती के लिए जो डिग्री मांगी हम उसमें दक्ष हैं लेकिन हमें सिर्फ इसलिए बाहर कर दिया गया है क्योंकि विज्ञापन में डिग्री का नाम गलत लिखा है। पीएससी की गलती का खामियाजा हम भुगते? हमें भी शामिल किया जाना चाहिए। यदि ऐसा नहीं किया तो भर्ती प्रक्रिया का रद्द कराने के लिए हम हाईकोर्ट जाएंगे और क्षतिपूर्ति की मांग भी करेंगे।
सुदर्शन झिल्ले, जितेंद्र अहिरवार, मोहम्मद फराज, दिवाकर सिंग (सभी आवेदक)
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