नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि देश की राजनीतिक प्रणाली का अपराधीकरण नहीं होने देना चाहिए। शीर्ष न्यायालय ने यह टिप्पणी ने गंभीर अपराधिक मामलों में आरोपी व्यक्तियों के चुनाव लड़ने पर रोक लगाने की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए की। हालांकि साथ ही स्पष्ट किया कि कानून बनाना हमारा काम नहीं। यह संसद का काम है।
चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता में बनी 5 जजों की बेंच ने कहा, कोर्ट को लक्ष्मण रेखा पार नहीं करनी चाहिए और न ही संसद के कानून बनाने वाले अधिकारों में दखल देना चाहिए। हम कानून बनाएं, ये कोर्ट के लिए लक्ष्मण रेखा है। हम कानून नहीं बनाते। वहीं, केंद्र की ओर से पेश अटॉर्नी-जनरल केके वेणुगोपाल ने भी इन याचिकाओं का विरोध किया। उन्होंने कहा, यह मामला संसद के विशेषाधिकार के तहत आता है। वैसे भी एक आरोपी को तब तक दोषी नहीं कह सकते, जब तक उसके खिलाफ आरोप तय न हो जाएं।
देश के 21% विधायकों-सांसदों पर अपराधिक मामले
चुनाव आयोग से मिली जानकारी के मुताबिक, देश के 4,856 विधायकों और सांसदों में से 1,024 के खिलाफ गंभीर आपराधिक मामले दर्ज हैं। यह कुल विधायकों-सांसदों का 21% है, यानी हर 5वां नेता आरोपी है। इनमें से 64 (56 विधायक और 8 सांसद) के खिलाफ अपहरण के केस हैं। 51 विधायकों-सांसदों पर महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामले दर्ज हैं। इनमें अपहरण के सबसे ज्यादा मामले उत्तरप्रदेश-बिहार और महिलाओं के खिलाफ अपराध के सबसे ज्यादा मामले महाराष्ट्र के सांसदों-विधायकों पर दर्ज हैं।
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