हरिहर निवास शर्मा। एससी एसटी एक्ट का दुरुपयोग होगा ही, सामान्य से वादविवाद में भी सवर्ण प्रताड़ित होंगे। यह केवल आशंका नहीं, बल्कि धरातल पर दिखने भी लगा है। एक वरिष्ठ कार्यकर्त्ता ने अखबार की कटिंग भेजकर आग्रह किया कि मैं इस विषय को वरिष्ठ जनों तक पहुँचाऊँ।
हर क्रिया की प्रतिक्रिया होती है और वह क्रिया से कहीं अधिक तीखी होती है। हाल ही में संसद द्वारा सुप्रीम कोर्ट का निर्णय पलटकर नया क़ानून बनाया गया है। श्योपुर के भाजपा जिला कोषाध्यक्ष ने उसके विरोध में भाजपा से ही त्यागपत्र दे दिया। यह महज बानगी है।
कोई विचार नहीं कर रहा कि संसद ने सर्वानुमति से उक्त प्रस्ताव पारित किया है, नाराजी केवल भाजपा से क्यूं ? प्रस्ताव चूंकि भाजपा सरकार लेकर आई, इसलिए सवर्णों का गुस्सा भाजपा के प्रति ज्यादा है। वे परंपरा से वोटर भी भाजपा के रहे हैं। अपनों का दिया घाव, ज्यादा कष्ट देता है।
हो सकता है कि दलित नेता उदयराज या पासवान जैसों ने भाजपा नेतृत्व को ब्लैकमेल कर इसके लिए विवश किया हो। किन्तु अब इस गुस्से को कैसे थामोगे जनाब ? तात्कालिक लाभ के लिए यह तो दीर्घकालिक क्षति हो गई। पराये तो अपने बने नहीं, अपने भी बेगाने हो गए। अगर वोटिंग प्रतिशत कम हुआ या नोटा का प्रचलन बढ़ा, तो नुक्सान किसको होगा ? इसकी रणनीति अभी से सोची जानी चाहिए, और यथाशीघ्र अमल में लाना चाहिए। मैं जानता हूँ, कि सत्ता के नक्कारखाने में मेरी तूती कोई सुनने वाला नहीं है। फिर भी कर्तव्यभाव से ग्राउंड रिपोर्ट दे रहा हूँ, शायद कोई वरिष्ठ इसे पढ़े-गुने।
लेखक श्री हरिहर निवास शर्मा भाजपा के मीसाबंदी नेता हैं। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के लिए पूरा जीवन और परिवार समर्पित कर चुके हैं।
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