ग्वालियर। श्योपुर कलेक्ट्रेट में उस समय हड़कंप की स्थिति निर्मित हो गई जबकि अचानक आदिवासी महिलाएं कलेक्ट्रेट परिसर में आ धमकी और उन्होंने धरना शुरू कर दिया। वो सारी रात जमे रहने की तैयारी के साथ आईं थीं। खबर करंट की तरह पूरे शहर में फैली। अधिकारियों से लेकर जनप्रतिनिधियों तक सब महिलाओं के पास पहुंचे। जैसे तैसे उन्हे रवाना किया गया। बता दें कि सीएम शिवराज सिंह ने सहरिया महिलाओं को 1-1 हजार रुपए प्रतिमाह पोषण भत्ता देने का ऐलान किया था। शुरूआत में तो यह पैसा मिला, फिर आना बंद हो गया।
शासन की योजनाओं का लाभ ना मिल पाने से नाराज होकर तीन गांव की आदिवासी महिलाओं ने मंगलवार की रात श्योपुर कलेक्ट्रेट पहुंचकर धरना दे दिया। यह महिलाएं जिला मुख्यालय से 165 किलोमीटर दूर अगरा इलाके से किराये के वाहन से देर शाम कलेक्ट्रेट पहुंचीं। उस वक्त कलेक्ट्रेट के सभी कर्मचारी वहां से जा चुके थे। इसलिए महिलाएं कलेक्ट्रेट परिसर में धरना देकर बैठ गईं। जब इस बात की जानकारी प्रशासन और जनप्रतिनिधियों को मिली तो हड़कंप की स्थिति बन गई क्योंकि कुछ ही देर में प्रभारी मंत्री नारायण सिंह कुशवाह श्योपुर आने वाले थे।
आगामी 24 अगस्त को सीएम की जनआशीर्वाद यात्रा भी श्योपुर पहुंचने वाली है, जिसे देखते हुए बीजेपी की जिला पंचायत अध्यक्ष कविता मीणा और जिला अध्यक्ष अशोक गर्ग समेत अन्य जनप्रतिनिधि कलेक्ट्रेट पहुंचे। आदिम जाति के सहायक आयुक्त समेत अन्य अधिकारी भी तत्काल मौके पर पहुंचे और उन्होंने महिलाओं को समझाया-बुझाया। तीन दिन में उनकी समस्या का समाधान कर शासन की योजनाओं का लाभ देने का आश्वासन दिया तब कहीं महिलाएं मानी। रात साढ़े दस बजे अगरा के लिए रवाना हो गई।
हुआ यह कि कुपोषण मिटाने के लिए सीएम शिवराज सिंह चौहान द्वारा 6 महीने पहले आदिवासी परिवारों को एक हजार रुपये प्रति महीना दिए जाने के लिए योजना शुरु की गई थी जिसके लिए बजट भी तीन महीने पहले ही भेजा जा चुका है और पैसे आने भी लगे थे परंतु अचानक खातों में पैसा आना बंद हो गया। महिलाओं का कहना है कि कहीं उनकी सुनवाई नहीं हो रही है। ना पेंशन मिल रही है और ना ही पोषण के एक-एक हजार।
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